"अष्टश्रवा": अवतरणों में अंतर
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ब्रहमाजी का एक उपनाम है,इसका मतलब होता है,आठकान वाला,चार मुख वाले ब्रहमाजी के दो दो कान हर मुख में होने से कुल आठ कान माने जाते है,हर समय आठों दिशाओं का बोध उनको होता रहता है,लेकिन "तन्त्र-शास्त्र" के अनुसार सरस्वती के साथ होने पर दो दिशाओं के प्रति उनका भान और बध जाता है,जिनमें आकाश ऊर्ध्व और नीचे अध के नाम से दो दिशाओं सहित दस दिसाओं का बोध होता है.
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