"अभिधम्म साहित्य": अवतरणों में अंतर

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'अभिधम्मपिटक' में सात ग्रंथ हैं-
: '''धम्मसंगणि, विभंग, जातुकथा, पुग्गलपंञ्ात्तिपुग्गलपंञ्त्ति, कथावत्थु, यमक और पट्ठान।पट्ठान'''।
 
विद्वानों में इनकी रचना के काल के विषय में मतभेद है। प्रारंभिक समय में स्वयं भिक्षुसंघ में इसपर विवाद चलता था कि क्या अभिधम्मपिटक बुद्धवचन है।
 
पाँचवें ग्रंथ कथावत्थु की रचना [[अशोक]] के गुरु मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की, जिसमें उन्होंने संघ के अंतर्गत उत्पन्न हो गई मिथ्या धारणाओं का निराकण किया। बाद के आचार्यों ने इसे '[[अभिधम्मपिटक]]' में संगृहीत कर इसे बुद्धवचन का गौरव प्रदान किया।
 
शेष छह ग्रंथों में प्रतिपादन विषय समान हैं। पहले ग्रंथ धम्मसंगणि में अभिधर्म के सारे मूलभूत सिद्धांतों का संकलन कर दिया गया है। अन्य ग्रंथों में विभिन्न शैलियों से उन्हीं का स्पष्टीकरण किया गया है।