"कृत्तिका तारागुच्छ": अवतरणों में अंतर

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[[File:Pleiades large.jpg|thumb|240px|कृत्तिका तारागुच्छ]]
'''कृत्तिका''', जिसे '''प्लीयडीज़''' भी कहते हैं, [[वृष तारामंडल]] में स्थित B [[तारों की श्रेणियाँ|श्रेणी]] के तारों का एक [[खुला तारागुच्छ]] है। यह पृथ्वी के सब से समीप वाले [[तारागुच्छों]] में से एक है और बिना दूरबीन के दिखने वाले तारागुच्छों में से सब से साफ़ नज़र आता है।<ref name="ref74melel">{{cite web | title=NightWatch: a practical guide to viewing the universe | author=Terence Dickinson | publisher=Firefly Books, 1998 | isbn=9781552093023 | url=http://books.google.com/books?id=BaMBgoKPmjAC}}</ref> कृत्तिका तारागुच्छ का बहुत सी मानव सभ्यताओं में अलग-अलग महत्व रहा है। इसमें स्थित ज़्यादातर तारे पिछले १० करोड़ वर्षों के अन्दर जन्में हुए नीले रंग के गरम और बहुत ही [[रोशन]] [[तारे]] हैं। इसके सबसे रोशन तारों के इर्द-गिर्द [[खगोलीय धूल|धूल]] भी दमकती हुई नज़र आती है। पहले समझा जाता था कि यह यहाँ के तारों के निर्माण के बाद बची-कुची धूल है, लेकिन अब ज्ञात हुआ है कि यह [[अंतरतारकीय माध्यम]] (इन्टरस्टॅलर मीडयम) में स्थित एक अलग ही धूल और गैस का बादल है जिसमें से कृत्तिका के तारे गुज़र रहें हैं। [[खगोलशास्त्रियों]] का अनुमान है कि इस तारागुच्छ और २५ करोड़ वर्षों तक साथ हैं लेकिन उसके बाद आसपास गुरुत्वाकर्षण कि खींचातानी से एक-दूसरे से बिछड़कर तित्तर-बित्तर हो जाएँगे।
 
==इन्हें भी देखें==