"शैलाश्रय,सिंघनपुर,रायगढ़": अवतरणों में अंतर
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इस शैलाश्रय के चित्र अधिक समय बीत जाने एवं प्राकृतिक दुष्प्रभावों के कारण धूमिल हो गए हैं। अंकित चित्रों में सीढ़ीनुमा पुरुष, मत्स्यांगना, शिकार दृश्य, पंक्तिबद्ध नर्तक टोली एवं मानवाकृतियाँ सम्मिलित हैं। मत्स्यांगना,कंगारू सदृश पशु, गोह एवं सर्पाकृति के अंकन अद्वितीय हैं। इस शैलाश्रय में पहले २३ कलाकृतियाँ देखी गयी थीं जिनमें से अब केवल १३ ही बची हैं। यहाँ की सीढ़ीनुमा लम्बी मानवाकृति की तुलना आस्ट्रेलिया में प्राप्त सीढ़ीनुमा पुरुष से की जाती है। विविध पशु आकृतियाँ, वन भैंसा, बंदर, छिपकली तथा अन्य चित्रों के अंकन में आदिमानवों की कला-संस्कृति आज भी जीवित है।चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से वहाँ रहने वाले निवासियों के उस काल के जीवन और पर्यावरण तथा प्रकृति की जानकारी प्राप्त होती है। मध्याश्वीय काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के चित्र रायगढ़, बस्तर, कांकेर, दुर्ग कोरिया आदि जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित शैलाश्रयों में पाए गए हैं। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है। <ref>{{cite book |last=संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग |first=छत्तीसगढ़ शासन |title=धरोहर:राज्य के संरक्षित स्मारक|year=जनवरी २००६ |publisher=छत्तीसगढ़ शासन |location=रायपुर|id= |page=33 |accessday=24 |accessmonth= सितंबर|accessyear=२००९ }}</ref>
==संदर्भ==
ड़ा.संजय अलंग-छत्तीसगढ़ की रियासतें और जमीन्दारियाँ (वैभव प्रकाशन, रायपुर1, ISBN 81-89244-96-5)
ड़ा.संजय अलंग-छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ/Tribes और जातियाँ/Castes (मानसी पब्लीकेशन, दिल्ली6, ISBN 978-81-89559-32-8)
<references/>
{{छत्तीसगढ़ राज्य के संरक्षित स्मारक}}
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