"सतख्यातिवाद": अवतरणों में अंतर

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== आलोचना ==
1 #रामानुज भ्रम को सत्य ज्ञान कहते है पर्ंतु रज्जु सर्प के अल्प गुणों की समानता के आधार पर रज्जु को सर्प कहना तथा उस्के अनुसार आचरण करना उचित नही है<br />
2 #भ्रम निराकरण प्रक्रिया में कुछ तथ्यॉ \पक्षों का विनाश अवश्य होता है यहाँ आंशिक ज्ञान की समग्र ज्ञान मे परिणिति नही होता है बल्कि मिथ्या ज्ञान का पूर्ण निराकरण होता है जो चीजें यथार्थ ज्ञान में नष्ट होती है उन्हे सत नही माना जा सकता है <br />
[[श्रेणी :दर्शन]]