"तत्त्व (जैन धर्म)": अवतरणों में अंतर

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*काल
 
==आस्रव==
कर्मों की आमद को आस्रव कहतें हैं| यह तब होता है, जब मन, संवाद और शरीर की गतिविधियों द्वारा उत्पन्न स्पंदन के कारण कर्म कण आत्मा की ओर आकर्षित होते हैं| [[तत्त्वार्थसूत्र]] 6:1-2 के अनुसार, "मन, संवाद और शरीर की गतिविधियों को योग कहते हैं| इन तीन क्रियाओं के कारण आस्रव या कर्मों की आमद होती है|"
 
==बंध==
कर्मों का असर चेतना से जुडने पर ही होता है| चेतना के साथ कर्मों के इस बंधन को बंध कहते हैं| हालाँकि, केवल योग या गतिविधियों के माध्यम से ही बंध नहीं होता| बंध के कई कारणों में से, राग मुख्य कारण है| वस्तुतः, कर्म के चिपकने का कारण आत्मा का चिपचिपापन है, जो विभिन्न रागों और मानसिक स्वभाव के अस्तित्व की वजह से है|
 
==इन्हें भी देखें==