"दिष्टधारा मोटर": अवतरणों में अंतर

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मोटर में एक चालक के स्थान पर बहुत से आपस में संबद्ध चालकों का तंत्र रहता है, जो एक आर्मेचर (armature) पर आरोपित होता है। आर्मेचर, नरम लोहे की बहुत सी पट्टिकाओं (plates) को जोड़कर बना होता है और बेलनाकार (cylindrical) होता है। इसमें चारों ओर खाँचे कटे हुए होते हैं, जिनमें चालक समूहोंको कुंडली अथवा दंडों के रूप में रखा जाता है। इन चालकों को, एक निश्चित योजना के अनुसार, आपस में एक दूसरे से संबद्ध किया जाता है। इस निश्चित क्रम को आर्मेचर कुंडलन (armature winding) कहते हैं। विभिन्न प्रकार के कुंडलनों के विशिष्ट लक्षण होते हैं, जिनके विशिष्ट प्रकार के कुंडलनों के विशिष्ट लक्षण होते हैं, निके विशिष्ट लाभ होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र भी एक दूसरे चालक समूह में से धारा को प्रवाहित कर प्राप्त किया जाता है। दिष्ट धारा मोटरों के आर्मेचर चालकों में धारा बुरुशों द्वारा ले जाई जाती है। ये बुरुश, वस्तुत: आर्मेचर से संबद्ध दिक्परिवर्तक (commutator) पर आरोपित होते हैं और संभरण से संबद्ध होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करनेवाले कुंडलनों से संबद्ध होते हैं। चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करनेवाले कुंडलनों को सामान्यत: क्षेत्र कुंडली (Field coil) कहते हैं। ये कुंडलियाँ आर्मेचर कुंडलन से श्रेणी में संबद्ध या समांतर में संबद्ध या समांतर में संबद्ध हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि उनके कुछ कुंडलन श्रेणी में हों और कुछ समांतर में। क्षेत्र कुंडलन के इस प्रकार संयोजन के आधार पर तीन विभिन्न प्ररूप के दिष्ट धारा मोटर प्राप्त होते हैं : श्रेणी मोटर (Series Motor) शंट मोटर (Shunt motor) तथा संयुक्त मोटर (Compound motor)। श्रेणी मोटर में जो धारा आर्मेचर में से होकर प्रवाहित होती है, वही क्षेत्र कुंडली में भी प्रवाहित होती है। अत:, इसकी क्षेत्र कुंडली में मोटे तार के बहुत कम कुंडलन होते हैं। शंट मोटर में पूर्ण धारा का कुछ अंश ही क्षेत्र कुंडली में होकर बहता है, जो उसके आरपार बोल्टता तथा कुंडलन के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। अत: इसी क्षेत्र कुंडली में बहुत पतले तार के बहुत अधिक कुंडलन होते हैं, जिससे इस कुंडली का प्रतिरोध सामान्यत: कई सौ ओम होता है।
'''दिष्ट धारा मोटर''' वह उपकरण है जो [[विद्युत उर्जा]] को यांत्रिक उर्जा में बदलता है|
 
विभिन्न प्ररूपों के दिष्ट धारा मोटरों के लक्षण भी बहुत भिन्न भिन्न होते हैं, और उन्हीं के अनुसार इनका प्रयोग भी भिन्न भिन्न प्रयोजनों के लिए होता है। शंट मोटर लगभग स्थिर चाल परप्रवर्तन करते हैं और भार के साथ उनका चाल विचरण अधिक नहीं होता। अत: वे उन सब उपयोगों में प्रयुक्त होते हैं जहाँ एकसम चाल की आवश्यकता होती है। ये ट्राम, लिफ्ट, क्रेन इत्यादि के लिए बड़े उपयोगी हैं। किसी भार को चलन में लाने से पहले अधिक बल लगाना पड़ता है, पर जब वह चलने लगता है तब उतने बल की आवश्यकता नहीं रहती। अतएव श्रेणी मोटर इन प्रयुक्तियों के लिए आदर्श होते हैं और इनका उपयोग विस्तृत रूप में होता है।
== रचना ==
इस मोटर के निम्नलिखित भाग होते हैं
'''चुम्बक'''
यह विद्युत चुम्बक होता जो आर्मेचर किनारे लगा होता है |
'''आर्मेचर'''
यह तांबे के विद्युतरोधी तार की बनी कुंडली होती है |{{आधार}}
इस मोटर के दोनो तरफ असमान ध्रुव के विद्युत चुम्बक लगा दिये जाते है| इसके मध्य एक आर्मेचर की धुरी के साथ एक पहिया लगा रहता है| तथा इसे एक सेल से जोड देते हैं| आर्मेचर आयताकार होता तथा धारा प्रवाहित करने के पूर्व आर्मेचर कि स्थिति निम्न होती है (माना)| सेल के धन सिरे को A से जोड देते हैं तथा त्रण सिरे को D से जोड देते हैं|
B C
[S N] [S N]
A D (आर्मेचर कि प्रारंभिक स्थिति)
इन सिरों को दो ब्रुश द्वारा ऐसे जोड देते हैं कि आर्मेचर के घूम जाने पर A सेल के धन सिरे से जिस प्रकार जुडा रहता है| D उसी प्रकार सेल के धन सिरे से जुड जाए तथा A सेल के ऋण सिरे से जुड जाए|
 
अधिकांश प्रयोजनों के लिए शंट तथा श्रेणी प्ररूपों के बीच की आवश्यकता होती है, जो संयुक्त मोटर द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
== कार्य विधि ==
जब खुले परिपथ को बंद कर दिया जाता हैं तो विद्युत का प्रवाह आर्मेचर से होकर धन से त्रण की ओर होने लगता है| अर्थात A->B->C->D फ्लेमिंग के बांए हाथ के नियमानुसार
जब धारा कि दिशा तर्जनी और माध्यिका कि दिशा में होतो बल अंगूठे कि दिशा में लगता है| अर्थात A-B में बल अंदर कि ओर लगेगा D-C में बल बाहर कि ओर लगेगा| परिणाम स्वरुप आर्मेचर घूम जाएगा| जैसे ही आर्मेचर कि स्थिति
C B
[S N] [S N]
D A
हो जाएगी तो D-C सेल के धन सिरे से जुड जाएगा तो धारा कि दिशा D->C->B->A हो जाएगी अर्थात विद्युत धारा D-C को नीचे दबाएगी और A-B को उपर खीचेगी|
फलस्वरुप आर्मेचर पुन: घूम जाएगा जैसे ही आर्मेचर अपनी प्रारंभिक स्थिति में आएगा तो A-B को धारा नीचे दबाएगी और D-C को उपर खींचेगी और यही क्रम चलता रहेगा|
परिणाम स्वरुप मोटर काम करने लगेगा|
 
== वाह्य सूत्र ==
== उपयोग ==
* [http://www.stefanv.com/rcstuff/qf200212.html How Motors Work (brushed and brushless RC airplane motors)]
#विद्युत पंखा (जिन्हे आवेशित किया जा सके)
* [http://www.aseanexport.com/PDF/dc_motor_speed_controller.pdf Theory of DC motor speed control]
#खिलौनो मे (जहां कम उर्जा कि आवश्यकता होती है)
 
[[en: DC_motor]]
[[Category:Electric motors]]
[[ar:محرك تيار مستمر]]
 
[[bn:ডিসি মোটর]]
[[be:Машыны пастаяннага току]]
[[de:Gleichstrommotor]]
[[be-x-old:Машыны нязьменнага току]]
[[et:Alalisvoolumootor]]
[[ca:Motor de corrent continu]]
[[fa:ماشین DC]]
[[cs:Stejnosměrný motor]]
[[de:Gleichstrommaschine]]
[[en:Brushed DC electric motor]]
[[es:Motor de corriente continua]]
[[fr:Machine à courant continu]]
[[itgl:MotoreMáquina inde corrente continua]]
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[[nl:gelijkstroommotor]]
[[ms:Motor elektrik DC dengan berus]]
[[ja:直流電動機]]
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[[ru:Электродвигатель постоянного тока]]
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[[श्रेणी:उर्जा]]
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