"पेरिस कम्यून": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Comite-de-salut-public.jpg|300px250px|right|thumb|पेरिस कम्यून की 'कमीते-द-सैलूत-पब्लिक' का पोस्टर]]
 
'''पेरिस कम्यून''' ( [[फ्रांसीसी]] : La Commune de Paris, आईपीए: [[la kɔmyn də paʁi]]) एक सरकार थी जिसने [[पेरिस]] पर 28 मार्च, 1871 से 28 मई, 1871 तक के संक्षिप्त काल के लिये शासन किया।
 
==परिचय==
सन्‌ 1871 ई. का [[पेरिस कम्यून]] एक क्रांतिकारी आंदोलन था जिसका प्रमुख महत्व [[फ्रांस]] के सामंशाही आधिपत्य से पेरिस के सर्वहारा वर्ग द्वारा अपने को स्वतंत्र करने के प्रयत्नों में है। सन्‌ 1793 ई. के [[कम्यून]] के समय से ही पेरिस के सर्वहारा वर्ग में क्रांतिकारी शक्ति पोषित हो रही थी जिसने समय असमय उसके प्रयोग के निष्फल प्रयत्न भी किए थे। 2 सितंबर, सन्‌ 1870 को [[तृतीय नेपोलियन]] की हार के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाली राजनीतिक परिस्थितियों ने पेरिस और सामंतशाही फ्रांस के बीच के संघर्ष और बढ़ा दिए। 4 सितंबर को गणतंत्र की घोषणा के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार (गवर्नमेंट ऑव नैशनल डिफ़ेंस) की स्थापना हुई और दो सप्ताह बाद ही जर्मन सेना ने पेरिस पर घेरा डाल दिया जिससे आतंकित हो पेरिस ने गणतंत्र स्वीकार कर लिया। परंतु मास पर मास बीतने पर भी जब घेरा न हटा तब भूख और शीत से व्याकुल पेरिस की जनता ने पेरिस के एकाधिनायकत्व में लेवी आँ मास (levee en masse) की चर्चा प्रारंभ कर दी। सितंबर में ही नई सरकार के पास स्वायत्तशासित कम्यून की स्थापना की माँग भेज दी गई थी;थी। इधर युद्ध की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए सैन्य जत्थों का संगठन, श्रमिकवर्ग के लोगों की भर्ती तथा उन्हें अपने अफसरों को नामजद करने के अधिकार की प्राप्ति के फलस्वरूप भी पेरिस के सर्वहारा वर्ग की शक्तियाँ बढ़ गई थीं। फरवरी, सन्‌ 1871 ई. में इन सर्वहारा सैन्य जत्थों ने परस्पर मिलकर एक शिथिल संघ की तथा 20 आरोंदिस्मों (arondissmonts) में प्रत्येक से तीन प्रतिनिधियों के आधार पर राष्ट्रीय संरक्षकों की एक केंद्रीय समिति (कोमिती द ला गार्द नात्सियोनाल) की स्थाना की।
 
28 जनवरी को जर्मन सेना तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार के बीच किंचित्‌ काल के लिए उस उद्देश्य से युद्ध स्थगित करने की संधि हुई कि फ्रांस को राष्ट्रीय संसद् (नैशनल असेंब्ली) के निर्वाचन का अवसर प्राप्त हो सके जो शांतिस्थापना या युद्ध के चलते रहने पर अपना निर्णय दे। परंतु सामंतशाही फ्रांस की भावनाओं का प्रतिनिधान करने वाली इस संसद् ने सर्वहारा वर्ग को और अधिक क्रुद्ध किया। उसने महँगे दामों में केवल युद्धसमाप्ति को ही नहीं स्वीकार किया वरन्‌ फ्रांस की राजधानी वरसाई में स्थानांतरित कर पेरिस वासियों को अपमानित भी किया और कुछ ऐसे प्रस्ताव पास किए जो पेरिस वासियों के हितों के लिए घातक थे। पेरसि के स्वायत्तशासन संबंधी आंदोलन को आघात पहुँचाने के आशय से राष्ट्रीय संरक्षक समिति की सैन्य शक्तियाँ कम करने के हेतु 18 मार्च को सरकार द्वारा उसकी तोपों पर आधिपत्य प्राप्त करने के निष्फल प्रयत्न ने दोनों के बीच होनेवाले संघर्ष को क्रांतिकारी आंदालन का रूप दे दिया जिसमें सरकारी सेना ने राष्ट्रीय संरक्षकों पर वार अपना अस्वीकार कर दिया। फलत: सरकारी पक्ष के अनेक नेता माए गए और शेष ने वारसाई में भागकर शरण ली। इस प्रकार किसी विशेष संघर्ष के बिना नगर राष्ट्रीय संरक्षक समिति के आधिपत्य में आ गया जिसने तुंरत अंतरिम सरकार की स्थापना की तथा 26 मार्च को पेरिस कम्यून के प्रतिनिधियों के निर्वाचन का प्रबंध किया। 90 प्रतिनिधियों के निर्वाचन के लिए लगभग दो लाख व्यक्तियों ने मतदान किया। अंतरिम सरकार के रूप में अपना कार्य समाप्त कर चुकने के कारण राष्ट्रीय संरक्षक समिति ने राजनीतिक कार्य से अवकाश ग्रहण कर लिया और इस प्रकार अंतत: पेरिस नगर अपने हित में अपना शासनप्रबंध स्वयं करने का अवसर पा सका।