"हिन्दी उपन्यास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Reverted good faith edits by 117.212.192.195 (talk): Already in hindi. (TW) |
|||
पंक्ति 11:
यथार्थवादी शैली सामाजिक यथार्थवाद की ओर मुड़ी और "दिव्या' और "झूठा सच' के लेखक भूतपूर्व क्रांतिकारी यशपाल, और "बलचनमा' के लेखक नागार्जुन इस धारा के उत्तम प्रतिनिधि हैं। कहीं कहीं इनकी रचनाओं में प्रचार का आग्रह बढ़ गया है। हिंदी की नवीनतम विधा आंचलिक उपन्यासों की है, जो शुरु होती है फणीश्वरनाथ "रेणु' के "मैला आँचल' से और उसमें अब कई लेखक हाथ आजमा रहे हैं, जैसे राजेंद्र यादव, मोहन राकेश, शैलेश मटियानी, राजेंद्र अवस्थी, मनहर चौहान, शिवानी इत्यादि।
हिंदी के मौलिक कथासाहित्य का आरम्भ ईशा अल्लाह खाँ की "रानी केतकी की कहानी' से होता भारतीय वातावरण में निर्मित इस कथा में लौकिक परंपरा के स्पष्ट तत्व दिखाई देते हैं। खाँ साहब के पश्चात् पं. बालकृष्ण भट्ट ने "नूतन ब्रह्मचारी' और "सौ अजान और एक सुजान' नामक उपन्यासों का निर्माण किया। इन उपन्यासों का विषय समाजसुधार है।
|