"अवाप्ति": अवतरणों में अंतर
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उन लोगों का विचार है कि प्रमाणित परीक्षा के लिए अवाप्तिपरीक्षा एक मुख्य साधन है। इस प्रकार की कुछ परीक्षाएँ अध्याय के द्वारा अपने विषय के ज्ञान को नापने के लिए बनाई जाती हैं तथा कुछ विषयनिष्ठ परीक्षाएँ प्रमाणीकृत की जाती हैं और उनके द्वारा एक क्षेत्र के परीक्षार्थियों की योग्यता तुलनात्मक रूप से आसानी से नापी जा सकती है। अवाप्तिपरीक्षा बनाने के पहले परीक्षक को यह स्वयं समझ लेना चाहिए कि वह किस वस्तु को नापना चाहता है। उसे यह भी जान लेना है कि अवाप्तिपरीक्षा परीक्षार्थी के अर्जित ज्ञान को ही नापती है। अवाप्तिपरीक्षा बनाने में आइटम के चुनाव में विशेष ध्यान देना चाहिए। इन्हीं के ऊपर उस परीक्षा की मान्यता निर्भर करती है। किस तरह के आइटम होने चाहिए, इसका ज्ञान "शैक्षिक संख्याशास्त्र" (एजुकेशनल स्टैटिस्टिक्स) से पूर्ण परिचय होने पर ही हो सकता है। आजकल हमारे देश में इस दिशा में कार्य हो रहा है और ऑल इंडिया कौंसिल फॉर सेकंडरी एजुकेशन ने विदेशी विशेषज्ञों द्वारा अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए सुविधाएँ दी हैं।
[[श्रेणी:शिक्षा|अवाप्ति]]
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