"वसंत": अवतरणों में अंतर

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'''वसंत''' उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की एक ऋतु है।है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। उत्तरफाल्गुन भारतऔर मेंचैत्र मास ऋतुएँवसंत होतीऋतु हैं-के वसंत,माने ग्रीष्म,गए वर्षा,हैं। शरद,फाल्गुन शिशिरवर्ष का अंतिम मास है और हेमंत।चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। आम बौरों से लद जाते हैं और खोत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। कवि देव ने वसंत ऋतु का वर्णन करते हुए कहा है कि रूप व सौंदर्य के देवता कामदेव के घर पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति झूम उठती है। पेड़ों उसके लिए नव पल्लव का पालना डालते है, फूल वस्त्र पहनाते हैं पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनाकर बहलाती है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है ऋतुओं में मैं वसंत हूँ।
 
==टीका टिप्पणी==
डाल द्रुम पालना बिछौना नव पल्लव के
 
सुमन झूंगला सौहै तन छति भारी दे
 
पवन झुलावै, केकी करी बहरावै देव कोकिल हलावै
[[श्रेणी: होली]]
 
उत्तर भारत में ६ ऋतुएँ होती हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वसंत" से प्राप्त