"विरूप-चित्रण": अवतरणों में अंतर

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14:14, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण

व्यक्ति, समाज अथवा राजनीति पर चित्रों के माध्यम से व्यंग्य कसने अथवा उपहास करने की सामान्य विधा को विरूप-चित्रण या कैरिकेचर (Caricature) कहते हैं। यह मूलत फ्रेंच का शब्द है और फ्रेंच में यह इतालवी शब्द 'कैरिकेचुरा' से लिया गया था जिसका तात्पर्य वैयक्तिक गुणों अथवा अवगुणों का अतिरंजित चित्रण था।

चार्ल्स डार्विन का बन्दर के रूप में विरूप-चित्रण

चित्रकला की इस विधा का आरंभ ढूँढनेवाले लोग इसे अरस्तू के काल तक जा पहुँचते हैं। अरस्तु ने पाउसन नामक एक कलाकार का उल्लेख किया है जो लोगों का उपहास चित्रों के माध्यम से किया करता था। प्लीनी ने बुपुलस और अथेनिस नामक दो मूर्तिकारों की चर्चा की है जिन्होंने कवि हिमपानाक्स का जो देखने में बदसूरत लगता था। मजाक बनाने के लिये एक मूर्ति बनाई थी। किंतु इनके बाद किसी चित्रकार अथवा मूर्तिकार का पता नही लगता जिन्होंने इस प्रकार का कोई अंकन किया हो। लिनार्डो द विन्सी नामक विख्यात चित्रकार के बनाए विकृत चेहरों के अनेक चित्र उपलब्ध होते हैं जिन्हें सामान्य भाव से कैरिकेचर की संज्ञा दी जा सकती है। किंतु उनके संबंध में कहा जाता है की उन्हें उन्होंने किसी प्रकार की उपहास भावना से प्रस्तुत नही किया था वरन्‌ वे वस्तुत असाधारण कुरूप लोगों के रेखाचित्र है जिन्हें उन्होंने मनोयोगपूर्वक अध्ययन कर तैयार किया था। इस प्रकार सोलहवीं शती के बाद ही इस विधा के विकास का क्रमबद्ध इतिहास यूरोप में प्राप्त होता है।

कैरिकेचर का महत्व उसकी रचना में उतना नहीं है जितना कि उसके प्रचार प्रसार में। अत मुद्रण साधनों के विकास का साथ ही इसका भी विकास हुआ और पत्र पत्रिकाओं से उसे विशेष प्रोत्साहन मिला और आज इसे भी पत्र पत्रिकाओं में महत्व प्राप्त है। अब वह कैरिकेचर की अपेक्षा कार्टून के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। अपने इस रूप मे वह सामयिक सभी प्राकार की गतिविधियों पर प्रच्छन्न रूप से चुटीली टीका का एक सशक्त माध्यम माना जाता है।

बाहरी कड़ियाँ

  • National Caricaturist Network Official site of the National Caricaturist Network – a non-profit association devoted to the art of caricature
  • Wittygraphy a social network dedicated to the art of caricature