"त्रिकोणमितीय फलन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Winkelfunktionen Einheitskreis.svg|300px|right]]
[[गणित]] में '''त्रिकोणमितीय फलन''' (trigonometric functions) या '
ज्या ( sine ), कोज्या (cosine) तथा स्पर्शज्या (tangent) सबसे महत्व के त्रिकोणमित्तिय फलन हैं। ईकाई त्रिज्या वाले मानक वृत्त के संदर्भ में ये फलन सामने के चित्र में प्रदर्शित हैं। इन तीनों फलनों के व्युत्क्रम फलनों को क्रमशः व्युज्या (cosec), व्युकोज्या (sec) तथा व्युस्पर्शज्या ( cotangent या cot ) कहते हैं।
पंक्ति 176:
| <math> \, \csc(x) </math>
|}
==त्रिकोणमितीय फलनों का इतिहास==
[[आर्यभट्ट]] के [[सूर्यसिद्धान्त]] में ''''ज्या'''' तथा ''''कोटिज्या'''' का प्रयोग हुआ है जो क्रमशः sine व cosine के समानार्थी हैं। भारत से यह ज्ञान अरबों के पास गया और फिर यूरोप को गया।
आज प्रयोग किये जाने वाले सभी छः त्रिकोणमितीय फलन ९वीं शती तक इस्लामी गणित में प्रयोग होने लगे थे। अल-ख्वारिज्मी ने ज्या, कोज्या और स्पर्शज्या की सारणियाँ बनायी थी।
[[संगमग्राम के माधव]] ने पंद्रहवीं शदी के आरम्भ में त्रिकोणमितीय फलनों का का अध्ययन [[श्रेणी]] के रूप में किया है।
==इन्हें भी देखें==
|