"वृक्क अश्मरी": अवतरणों में अंतर
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किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।
बहूत अछा
== लक्षण ==
[[चित्र:Pos-renal.png|right|thumb|200px|गुर्दे की पथरी की अवस्था में दर्द की स्थिति]]
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