"इज़राइल का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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यहूदियों ने ही पश्चिमी धर्मों में नबियों और पैगंबरों तथा इलहामी शासनों का आरंभ और प्रचार किया। उनके नबियों ने, विशेषकर छठी सदी ई.पू. के नबियों ने जिस साहस और निर्भीकता से श्रीमानों और असूरी सम्राटों को धिक्कारा है और जो बाइबिल की पुरानी पोथी में आज भी सुरक्षित है, उसका संसार के इतिहास में सानी नहीं। उन्होंने ही नेबुखदनेज्ज़ार की अपनी बाबुली कैद में बाइबिल के पुराने पाँच खंड (पेंतुतुख) प्रस्तुत किए। इसी से बाबुल के संबध से ही संभवत: बाइबिल का यह नाम पड़ा।
 
==स्वतंत्रता==
सन्‌ 1948 ई. से पहले फिलिस्तीन (इज़रायल जिसका आजकल एक भाग है) ब्रिटेन के औपनिवेशिक प्रशासन के अंतर्गत एक अधिष्ठित (मैनडेटेड) क्षेत्र था। यहूदी लोग एक लंबे अरसे से फिलिस्तीन क्षेत्र में अपने एक निजी राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयत्नशील थे। इसी उद्देश्य को लेकर संसार के विभिन्न भागों से आकर यहूदी फिलिस्तीनी इलाके में बसने लगे। अरब राष्ट्र भी इस स्थिति के प्रति सतर्क थे। फलत: 1947 ई. में अरबों और यहूदियों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया। 14 मई, 1948 ई. को अधिवेश (मैनडेट) समाप्त कर दिया गया और इज़रायल नामक एक नए देश अथवा राष्ट्र का उदय हुआ। युद्ध जनवरी, 1949 ई. तक जारी रहा। न तो किसी प्रकार की शांतिसंधि हुई, न ही किसी अरब राष्ट्र ने इज़रायल से राजनयिक संबंध स्थापित किए। अलबत्ता संयुक्त राष्ट्रसंघीय युद्धविराम--पर्यवेक्षक--संगठन इस क्षेत्र में शांति स्थापना का कार्य करता है।
 
सन्‌ 1957 में इज़रायल ने पुन: ब्रिटेन तथा फ्रांस से मिलकर स्वेज की लड़ाई में गाजा क्षेत्र में अधिकार कर लिया, परंतु संयुक्त राष्ट्रसंघ के आज्ञानुसार उसे इस भाग को अंतत: छोड़ना पड़ा। प्रथम युद्ध एक प्रकार से समाप्त हो गया, लेकिन अप्रत्यक्ष तनातनी बनी रही।
 
1967 ई. में स्थिति बहुत खराब हो गई और इज़रायल-सीरिया-सीमाक्षेत्र में हुई झड़पों के बाद मिस्र ने इज़रायल की सीमा पर अपनी सेना बड़ी संख्या में तैनात कर दी। राष्ट्रसंघीय पर्यवेक्षक दल को निष्कासित कर दिया गया और रक्तसागर में इज़रायल की जहाजरानी पर मिस्र द्वारा रोक लगा दी गई। 5-6 जून की रात्रि को इज़रायल ने मिस्र पर जमीनी और हवाई आक्रमण शुरू कर दिए। जार्डन भी इज़रायल के विरुद्ध युद्ध में सम्मिलित हो गया और सीरिया की सीमाओं पर भी लड़ाई जारी हो गई। 11 जून को राष्ट्रसंघ द्वारा की गई युद्धविराम की अपील लगभग सभी युद्धरत राष्ट्रों ने स्वीकार कर ली। लेकिन इस समय तक इज़रायल गाज़ा पट्टी, स्वेज़ नहर के तट तक सिनाई प्रायद्वीप के भूभाग, जार्डन घाटी तक जार्डन के भूभाग, जेरूसलम तथा गैलिली सागर के पूर्व में स्थित सीरिया के गालन नामक पर्वतीय भाग (जिसमें क्यूनेत्रा नामक नहर भी है) पर अधिकार कर चुका था। जेरूसलम को तत्काल इज़रायल का अभिन्न अंग घोषित कर दिया गया, लेकिन शेष विलित इलाके को 'अधिकृत क्षेत्र' के रूप में ही रखा गया।
 
फरवरी, 1969 ई. में लेवी एश्कोल की मृत्यु हो जाने पर श्रीमती गोलडा मायर इज़रायल की प्रधानमंत्री नियुक्त हुईं और अक्टूबर, 1969 ई. के चुनाव में उन्हें पुन: प्रधानमंत्री चुन लिया गया। युद्ध--विराम--रेखा पर और विशेष रूप से अधिकृत स्वेज़ क्षेत्र में इज़रायलियों तथ अरब राष्ट्रों एवं फिलिस्तीनी गुरिल्ला संगठन के बीच छोटी मोटी झड़पें चलती रहीं जिनका अंत अगस्त, 1970 ई. में हुए युद्धविराम समझौते के बाद ही हुआ। किंतु मध्यपूर्व की वर्तमान स्थिति तब तक विस्फोटक बनी रहेगी, जब तक यहाँ की समस्याओं का कोई स्थायी राजनीतिक समाधान नहीं खोज लिया जाता।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन]] (PLO)
 
==बाहरी कड़ियाँ==