"आचार्य": अवतरणों में अंतर

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प्राचीन काल में '''आचार्य''' एक शिक्षा संबंधी पद था। [[उपनयन संस्कार]] के समय बालक का अभिभावक उसको आचार्य के पास ले जाता था। विद्या के क्षेत्र में आचार्य के पास बिना विद्या, श्रेष्ठता और सफलता की प्राप्ति नहीं होती (आचार्याद्धि विद्या विहिता साधिष्ठं प्रापयतीति।-छांदोग्य 4-9-3)। उच्च कोटि के प्रध्यापकों में आचार्य, गुरु एवं उपाध्याय होते थे, जिनमें आचार्य का स्थान सर्वोत्तम था। मनुस्मृति (2-141) के अनुसार उपाध्याय वह होता था जो वेद का कोई भाग अथवा वेदांग (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद तथा ज्योतिष) विद्यार्थी को अपनी जीविका के लिए शुल्क लेकर पढ़ाता था। गुरु अथवा आचार्य विद्यार्थी का संस्कार करके उसको अपने पास रखता था तथा उसके संपूर्ण शिक्षण और योगक्षेम की व्यवस्था करता था (मनु: 2-140)। 'आचार्य' शब्द के अर्थ और योग्यता पर सविस्तार विचार किया गया है। निरुक्त (1-4) के अनुसार उसको आचार्य इसलिए कहते हैं कि वह विद्यार्थी से आचारशास्त्रों के अर्थ तथा बुद्धि का आचयन (ग्रहण) कराता है। आपस्तंब धर्मसूत्र (1.1.1.4) के अनुसार उसको आचार्य इसलिए कहा जाता है कि विद्यार्थी उससे धर्म का आचयन करता है। आचार्य का चुनाव बड़े महत्व का होता था। 'वह अंधकार से घोर अंधकार में प्रवेश करता है जिसका अपनयन अविद्वान्‌ करता है। इसलिए कुलीन, विद्यासंपन्न तथा सम्यक्‌ प्रकार से संतुलित बुद्धिवाले व्यक्ति को आचार्य पद के लिए चुनना चाहिए।' (आप.ध.सू. 1.1.1.11-13)। यम (वीरमित्रोदय, भाग 1, पृ. 408) ने आचार्य की योग्यता निम्नलिखित प्रकार से बतलाई है : 'सत्यवाक्‌, धृतिमान्‌, दक्ष, सर्वभूतदयापर, आस्तिक, वेदनिरत तथा शुचियुक्त, वेदाध्ययनसंपन्न, वृत्तिमान्‌, विजितेंद्रिय, दक्ष, उत्साही, यथावृत्त, जीवमात्र से स्नेह रखनेवाला आदि' आचार्य कहलाता है। आचार्य आदर तथा श्रद्धा का पात्र था। श्वेताश्वतरोपनिषद् (6-23) में कहा गया है : जिसकी ईश्वर में परम भक्ति है, जैसे ईश्वर में वैसे ही गुरु में, क्योंकि इनकी कृपा से ही अर्थों का प्रकाश होता है। शरीरिक जन्म देनेवाले पिता से बौद्धिक एवं आध्यात्मिक जन्म देनेवाले आचार्य का स्थान बहुत ऊँचा है ([[मनुस्मृति]] 2. 146)।
आचार्य शब्द के कई अर्थ है
 
*1- अध्यापक या गुरू
==इन्हें भी देखें==
*2- आध्यात्मिक गुरू (जो उपनयन कराता है तथा वेद की शिक्षा देता है)<ref>{{cite book |last=आप्टे |first= वामन शिवराम|title= संस्कृत हिन्दी कोश|year= 1969 |publisher= मोतीलाल बनारसीदास|location= दिल्ली, पटना, वाराणसी भारत|id= |page= 141|editor: वामन शिवराम आप्टे|accessday= 27|accessmonth=जुलाई| accessyear=2007}}</ref>
{{बहुविकल्पी*[[आचार्य शब्द}}(बहुविकल्पी)]]
*3- किसी विद्वान व्यक्ति को सम्मान देने के लिए उसके नाम के पूर्व लगने वाला सम्मान सूचक शब्द
 
*4- पुरोहित या पारिवारिक पंडित जो घर में समस्त संस्कार व अनुष्ठान करवाता है।
==बाहरी कड़ियाँ==
*5- संगीतज्ञ, वंश या धर्म का प्रधान, बड़ा, बूढ़ा<ref>{{cite web |url= http://www.shabdkosh.com
*[http://www.bhaktamar.com Bhaktamar Stotra - Composed by Acharya Manatunga]
|title= शब्दकोश|accessmonthday=[[28 जुलाई]]|accessyear=[[2007]]|format= एचटीएमएल|publisher= शब्दकोश.कॉम|language=हिंदी-अंग्रेज़ी}}</ref>
*[http://vedabase.net/a/acarya Scriptural References to 'acarya']
*6- पांडवों के गुरू द्रोण का उपनाम। <ref>{{cite book |last=प्रसाद |first= कालिका|title= बृहत हिन्दी कोश|year= 2000 |publisher= ज्ञानमंडल लिमिटेड|location= वाराणसी भारत|id= |page= 120|editor: राजबल्लभ सहाय, मुकुन्दीलाल श्रीवास्तव|accessday= 27|accessmonth=जुलाई| accessyear=2007}}</ref>
*[http://www.jainworld.org/general/prem/Chapter%20VIII%20fe.htm Jain Monks, Statesmen and Aryikas] Dr. K. C. Jain
{{बहुविकल्पी शब्द}}
 
==संदर्भ==
[[श्रेणी:भारतीय संस्कृति]]
<references/>
[[श्रेणी:शिक्षा]]
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]