"हिन्दू वर्ण व्यवस्था": अवतरणों में अंतर

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* जाघ् से '''[[वैश्य]]''' उत्पन्न हुए।
* पैर से '''[[शूद्र]]''' उत्पन्न हुए।
===खंडन ===
उपरोक्त कल्पित विचार का खंडन भगवान बुद्ध ने अपने जीवन काल में हे कर दिया था | दिघ निकाय के आगण सुत्त के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद जब जीवो को क्रमिक विकास हुआ और उनमे तृष्णा लोभी अभिमान जेसे भावो का जन्म हुआ तो उन प्रारंभिक सत्वो में विभिन्न प्रकार की विकृतिया और आयु में क्रमश: कमी होने लगी | इसके बाद वे लोग चोरी जेसे कर्मो में प्रवृत्त होने लगे और पकडे जाने पर क्षमा याचना पर छोड़ दिए जाने लगे किन्तु लगातार चोर कर्म करने के कारण सभी जन समुदाय परेशां होकर एक सम्म्नानीय व्यक्ति के पास गए और बोले तुम यहाँ अनुशासन की स्थापना करो उचित और अनुचित का निर्णय करो हम तुम्हे अपने अन्न में से हिस्सा देंगे उस व्यक्ति ने यह मान लिया | चूँकि वह सर्व जन द्वारा सम्मत था इसलिए महा सम्मत नाम से प्रसिंद्ध , लोगो के क्षेत्रो (खेतों) का रक्षक था इसलिए क्षत्रिय हुआ और जनता का रंजन करने के कारण राजा कहलाया | उन सर्व प्रथम व्यक्ति को आज मनु कहा जाता हे जिसके आचार विचार पर चलने वाले मनुष्य कहलाये | इस प्रकार क्षत्रिय वर्ण की उत्पत्ति प्रजतात्त्रिक तरीके से जनता द्वारा रजा चुनने के कारण हुई | यह वर्ण का निर्णय धर्म (निति) के आधार पर हुआ न की किसी देविय सत्ताके कारण | इसी प्रकार ब्राहमण वेश्य और शुद्र वर्ग की उत्पत्तिभी अपने उस समय के कर्मो के अनुसार हुई पेज २४० <ref>http://www.dli.gov.in/cgi-bin/metainfo.cgi?&title1=digh nikaya_(1936)_ac_726&author1=NULL&subject1=NULL&year=1941 &language1=hindi&pages=374&barcode=99999990262307&author2=NULL&identifier1=NULL&publisher1=NULL&contributor1=NULL&vendor1=NONE&scanningcentre1=cdac,noida&slocation1=NONE&sourcelib1=vir seva mandir daryaganj&scannerno1=0&digitalrepublisher1=digital library of india&digitalpublicationdate1=2009-10-01&numberedpages1=0&unnumberedpages1=0&rights1=not available&copyrightowner1=NULL&copyrightexpirydate1=0000-00-00&format1=tagged image file format &url=/data4/upload/0115/111</ref>
 
===इतिहासकारों के अनुसार उत्पत्ति===
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*[http://religion.bhaskar.com/article/caste-system-1098504.html वर्ण व्यवस्था जाति आधारित नहीं मनोवैज्ञानिक है] (दैनिक भास्कर)
*[http://hindi.awgp.org/?gayatri/sanskritik_dharohar/bhartiya_sanskriti_aadharbhut_tatwa/sanskriti_samajik_paksha/varna_vyavastha_ka_swaroop/ वर्ण व्यवस्था का स्वरूप] (अखिल विश्व गायत्री परिवार)
==Reference==
{{Reflist}}
 
[[श्रेणी:वर्ण]]