"मंगोल लिपि": अवतरणों में अंतर

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[[File:Gaykhatu coin with Khagan's name.jpg|thumb|150px|इस सिक्के पर मंगोल लिपि में लिखा है कि यह 'रिन्छिन्दोर्जी ग​एख़ातू ने ख़ागान के नाम पर ज़र्ब किया']]
'''मंगोल लिपि''' ([[मंगोल भाषा|मंगोल]]: ᠮᠣᠩᠭᠣᠯ ᠪᠢᠴᠢᠭ᠌, [[सिरिलिक लिपि]]: Монгол бичиг, मोंगयोल बिचिग), जिसे '''उईग़ुरजिन''' भी कहते हैं, [[मंगोल भाषा]] को लिखने की सर्वप्रथम [[लिपि]] और [[वर्णमाला]] थी। यह [[उईग़ुर भाषा]] के लिए प्रयोग होने वाली प्राचीन लिपि को लेकर विकसित की गई थी और बहुत अरसे तक मंगोल भाषा लिखने के लिए सब से महत्वपूर्ण लिपि का दर्जा रखती थी।<ref name="ref92pimuy">[http://books.google.com/books?id=AcwUAAAAIAAJ The history and the life of Chinggis Khan: the secret history of the Mongols], Urgunge Onon, Brill Archive, 1990, ISBN 9789004092365, ''... The History was written in the Uighuro-Mongol (Uighurjin Mongol) script by Mongol scholars. Long before 1206 when the Mongol State adopted the Uighur script, a tribe called Naiman was already using the Uighur script for its alphabet ...''</ref> सन् १६४६ में [[रूसी भाषा|रूसी]] प्रभाव से मंगोल लिखने के लिए [[सिरिलिक लिपि]] का इस्तेमाल शुरू हो गया और धीरे-धीरे मोंगोल लिपि का प्रयोग ख़त्म होता चला गया। मूल रूप से मंगोल लिपि में शब्दों को ऊपर से नीचे लिखा जाता था, लेकिन आधुनिक युग में इसको अक्सर बाएँ-से-दाएँ लिखा जाने लगा है। कुछ अन्य भाषाओँ ने भी मंगोल लिपि को लेकर उस पर अपनी लिपियों को आधारित किया। इसकी एक बड़ी मिसाल [[मान्छु भाषा]] है जिसकी [[मान्छु लिपि]] इसी मंगोल लिपि पर आधारित थी। इसके अलावा शिबे (जो [[चीन]] के सुदूर-पश्चिम [[शिनजियांग प्रांत]] में बोली जाती है), ओइरत और एवेंकी ने भी अपनी लिपियाँ मंगोल लिपि से बनाई।
 
==इतिहास==
मंगोलों से पहले [[नायमन लोग]] (जो उईग़ुरों की तरह एक तुर्की जाति थे) उईग़ुर लिपि का प्रयोग पहले से कर रहे थे। सन् १२०४ में नायमनों के साथ मंगोलों के युद्ध किया और उसमें ततार-तोंगा नाम के एक उईग़ुर लेखक को बंदी बना लिया। उसी ने मंगोलों को उईग़ुर लिपि से अवगत कराया। कुछ सैंकड़ों सालों तक लिपि में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, हालांकि यह लिपि मंगोल ध्वनियों को पूरी तरह दिखने में सक्षम नहीं थी। फिर धीरे-धीरे इस लिपि में मंगोल भाषा के लिए उचित नए अक्षरों को लाया गया। मंगोलों ने पुरानी लिपि को इस नई लिपि से अलग बताने के लिए उसे 'उईग़ुरजिन' का नाम दे दिया।
 
==संस्कृत के लिए प्रयोग और यूनिकोड==