"जुरचेन लोग": अवतरणों में अंतर
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==एक नई मान्छु पहचान==
सन् १५८६ से लेकर एक तीस साल के अरसे तक एक [[नुरहाची]] नामक एक जुरचेन सरदार ने जुरचेन क़बीलों को फिर से एकता के सूत्र में बांधना शुरू किया। उसके बेटे (हुंग ताईजी) ने आगे चलकर इस समुदाय का नाम 'मान्छु' रखा। यही नीव थी जिसपर बाद में चलकर मान्छुओं ने चीन में अपना चिंग राजवंश स्थापित किया।
==इन्हें भी देखें==
*[[मान्छु लोग]]
*[[तुन्गुसी लोग]]
*[[नुरहाची]]
==सन्दर्भ==
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