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'''सफ़वी वंश''' [[ईरान]] का एक राजवंश जिन्होने 1502 - 1730 तक राज किया । इस वंश के शासनकाल में पहलीबारपहली बार शिया राजवंश इस्लाम राजधर्म के रूप में स्थापित हुआ । इसका पतन अफ़गानों के विद्रोहों और [[उस्मानी साम्राज्य]] के आक्रमणों के कारण 1720 में हुआ ।
 
तुर्क या कुर्द मूल के माने गए सफ़वी वंश के शासकों ने ईरान को मुख्य रूप से शिया बनाया जो आधुनिक ईरान की पहचान है । आरंभिक तीन सुन्नी ख़लीफ़ाओं (अबू बकर, उमर और उस्मान) को गाली देने की परंपरा भी इन्हीं लोगों ने शुरु की । इस्माईल और अब्बास के शासन काल में साम्राज्य विस्तृत और मजबूत हुआ ।
 
==मूल==
अर्दबिल के [[शेख़ सफ़ी]] (१२५२-१३३४) को इस वंश का स्थापक माना जाता है, हाँलांकि उस समय संगठन के हिसाब से वो एक स्थानीय सुन्नी और सूफ़ी नेता के अलावे कुछ नहीं थे । उन्होंने एक नई धार्मिक विचारधारा को जन्म दिया जिसके अनुसार इस्लाम के सही और शुद्ध रूप की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया । यद्यपि शेख़ सफ़ी के मूल के बारे में बहुत मालूम नहीं है पर उसके कुर्द मूल के होने की संभावना ग़लत नहीं लगती । सफ़ी के परवर्ती [[सदर अल-दीन]] (सद्रुद्दीन, १३३४-१३९१) ने शेख़ के आन्दोलन को अधिक संगठित रूप दिया । पंद्रहवीं सदी में [[तैमूर लंग]] के आक्रमण के ठीक बाद उत्तर पश्चिम ईरान और पूर्वी अनातोलिया में तुर्क घुड़सवारों के एक समूह का उदय हुआ जिसने अपने उत्तर में जॉर्जिया के ख़िलाफ सामरिक सफलता हासिल की । इस समय ईरान के केन्द्र में तुर्कों के ही एक दूसरे नस्ल सल्जूक़ (सेल्जुक) का शासन था । इन्होंने पूर्वी अनातोलिया में और भी प्रदेश जीते । पंद्रहवीं सदी के अंत में ये यकायक शिया बन गए ।
== सफ़वी शासकों की सूची ==
* [[इस्माईल प्रथम]] (1501-1524)