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आजकल, गृह-निर्माण, बांध, पुल, सड़क आदि में इस्पात का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है और बाजार अलग अलग गुणवत्ता वाले इस्पात अलग-अलग दामों पर उपलब्ध हैं.
 
== इस्पात निर्माणका महत्व==
हमारे जीवन में इस्‍पात का काफी प्रभाव है - कार जिसे हम चलाते हैं, भवन जिसमें हम कार्य करते हैं, जिस घर में हम रहते हैं और असंख्‍य अन्‍य पहलू इसमें आते हैं। विद्युत पावर लाइन टावर, प्राकृतिक गैस पाइप लाइनें, मशीन उपकरण आदि में इस्‍पात का प्रयोग होता है जिसकी सूची काफी लम्‍बी है। घरों में हमारे परिवारों को सुरक्षित रखने, हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाने में इस्‍पात का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। इसका फायदा निसंदेह स्‍पष्‍ट है। इस्‍पात अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण, बहुकार्यात्‍मक और सर्वाधिक अनुकूलनीय है। यदि इस्‍पात नहीं होता तो मानव जाति का विकास संभव नहीं होता। इस्‍पात के बल पर और सहज प्रयोग से विकसित अर्थव्‍यवस्‍था का आधार रखा गया था। इस्‍पात का विविध प्रयोग क्रमशः इस्‍पात का अनुकूलनीय मापदण्‍ड है जिन्हे इस्‍पात के निम्‍नलिखित विशेषताओं से आंका जा सकता है -
इस्पात उत्पादन का [[इतिहास]] करीब चार हजार साल पुराना है. अंटोलिया के उत्खनन से कुछ इस्पात के सामान मिले हैं. एशिया महाद्वीप की बात करें तो श्रीलंका में तीन सौ वर्ष ईसापूर्व में उच्च-मात्रा वाले इस्पात का प्रमाण मिला है. श्रीलंका ने इस्पात निर्माण के लिए ही वायु-भट्टी का निर्माण किया था. [[दिल्ली]] का [[लौह स्तम्भ]] भारतीय इस्पात निर्माण की प्राचीनता एवं उत्कृष्टता का जिता-जागता प्रमाण है। सिमेंटीकरण विधि द्वारा पहली बार इटली में बलिस्टर इस्पात का निर्माण किया गया.
 
गर्म और ठण्‍डी अवस्था में रूपान्तरण (hot and cold formable), वेल्‍ड करने योग्‍य, यांत्रिक रूप से उपयुक्त - सख्‍त, टफ, कम घिसने वाला, जंग प्रतिरोधी, ताप प्रतिरोधी - उच्‍च तापमान पर भी कम विकृति आदि।
आधुनिक काल में इस्पात का व्यवसायिक निर्माण [[बेसमेर विधि]] की खोज के बाद शुरु हुआ. बेसमेर विधि से इस्पात का उत्पादन काफी सस्ता हो गया. बाद में [[गिलक्रिस्ट-थोमस विधि]] के आने से बेसमेर विधि में और ज्यादा सुधार हुआ. बाद में [[सीमन-मार्टिन विधि]] की खोज से इस्पात निर्माण और भी सुगम हो गया।
 
इस्‍पात का अन्‍य पदार्थों से तुलना की जाय तो इसकी उत्‍पादन-लागत कम है। एलुमिनियम को बनाने में जितना उर्जा लगती है उसका लगभग 25% उर्जा से लोह अयस्‍क से लोहा बनता है। इस्‍पात पर्यावरण-मित्र है, इसको पुन:चक्रित (recycle) किया जा सकता है। भूगर्भ में 5.6% लौह तत्व विद्यमान है अत: इसका कच्चा माल का आधार भी मजबूत है। इस्‍पात का उत्‍पादन अन्य सभी अलौह पदार्थों के कुल उत्पादन से भी 20 गुना अधिक है।
[[लोहा]] धरती के गर्भ में स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाया जाता है, बल्कि यह ऑक्सीजन और सल्फर के साथ यौगिक अवस्था में पाया जाता है। मूल रुप से लौहे के दो अयस्क होते हैं- हेमाटाइट (एफ2ओ3) और पाइराइट (एफएस2) । हेमाटाइट से लौहे को [[निष्कर्षण]] किया जाता है, जिससे ऑक्सीजन अलग हो जाता है। लौह अयस्क से लोहे को अलग करना लौह निष्कर्षण कहलाता है. लौहे के निष्कर्षण में कार्बन की उपस्थिति में लोहे को गलाया जाता है। इस क्रिया को प्रगलन कहते हैं। शुरु-शुरु में कम गलनांक वाले धातुओं का प्रगलन किया जाता था. तांबे का गलनांक 1000 डिग्री सेल्सिसियस है, जबकि टीन 250 डिग्री सेल्सियस पर पिघल जाता है. कास्ट आयरन का गलनांक 1370 डिग्री सेल्सियस है. 800 डिग्री सेल्सियस के बाद ऑक्सीकरण दर तेजी से बढ़ जाता है. यही कारण है कि प्रगलन की क्रिया निम्न-ऑक्सीजन वाले वातावरण में करायी जाती है. तांबे और टीन के विपरीत, कार्बन तरह लोहे में आसानी से घुल जाता है. इस तरह से लोहे में कार्बन के मिश्रण से इस्पात बनाया जाता है।
सब मिलाकर इस्‍पात के लगभग 2000 किस्मों का विकास हुआ है जिसमें 1500 प्रकार के इस्‍पात उच्‍च ग्रेड के हैं। तथापि विभिन्‍न प्रकार के गुणधर्म वाले इस्‍पात के नये ग्रेडों के विकास की असीम संभावएँ हैं। हमारे जीवन में इस्‍पात के उपयोग का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है और आने वाले वर्षों में इसका उपयोग होता रहेगा।
 
== इस्पात निर्माण ==
[[अयस्क]] (ore) से अधिक से अधिक धातु प्राप्त करने के लिए अवकारक वस्तु, कार्बन, बहुतायत से मिलाई जाती है। कार्बन बाद में इच्छित मात्रा तक आक्सीकरण की क्रिया द्वारा निकाल दिया जाता है। इससे साथ के दूसरे तत्वों का भी, जिनका अवकरण हुआ रहता है और जो आक्सीकरणीय होते हैं, आक्सीकरण हो जाता है।
{{मुख्य| इस्पात निर्माण}}
 
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि लोहे में कार्बन के थोड़ से हेर-फेर से इस्पात की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव आ जाता है. इस्पात के गुणों में वांछित बदलाव के लिए लौहे और कार्बन के मिश्रण में दूसरे पदार्थ भी मिलाए जाते हैं. इस्पात की तन्यता बढ़ाने के लिए इसमें निकेल और मैंगनीज मिलाये जाते हैं. कठोरता बढ़ाने के लिए क्रोमियम और वेनेडियम का मिश्रण किया जाता है.
 
धातुकार्मिक व्यवहार में "विशुद्ध धातु" शब्द का उपयोग ऐसे व्यापारिक मेल की धातु के लिए भी होता है जिसमें प्रधानत: वे ही गुण (जैसे, रंग विद्युच्चालकता इत्यादि) होते हैं जो शुद्ध रासायनिक धातु में होते हैं। इनमें शेष जो अशुद्धता होती है या तो उसे दूर करना कठिन होता है, अथवा धातु में कोई विशेष गुण प्राप्त करने के लिए उसे जान बूझकर मिलाया जाता है। इस प्रकार मिलाए जानेवाले तत्वों को मिश्रधातुकारी तत्व कहते हैं।
 
== इस्पात की विशेषताएँ ==