"शास्त्रीय नृत्य": अवतरणों में अंतर

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इस नृत्‍य परम्‍परा के दो प्रमुख घराने हैं, इन दोनों को उत्तर भारत के शहरों के नाम पर नाम दिया गया है और इनमें से दोनों ही क्षेत्रीय राजाओं के संरक्षण में विस्‍तारित हुआ - [[लखनऊ]] घराना और [[जयपुर]] घराना।
 
== ओडिसीओड़िसी ==
{{मुख्य|ओडिसीओड़िसी}}
[[File:Odissi in a Group.jpg|thumb|right|200px|ओडिसीओड़िसी नृत्‍य करते हुए एक नृत्य मंडली]]
ओडिसीओड़िसी को पुरातात्विक साक्ष्‍यों के आधार पर सबसे पुराने जीवित नृत्‍य रूपों में से एक माना जाता है। [[उड़ीसाओड़िसा]] के पारम्‍परिक नृत्‍य, ओडिसीओड़िसी का जन्‍म मंदिर में नृत्‍य करने वाली देवदासियों के नृत्‍य से हुआ था। ओडिसीओड़िसी नृत्‍य का उल्‍लेख शिला लेखों में मिलता है, इसे ब्रह्मेश्‍वर मंदिर के शिला लेखों में दर्शाया गया है साथ ही [[कोणार्क]] के [[सूर्य मंदिर]] के केन्‍द्रीय कक्ष में इसका उल्‍लेख मिलता है। वर्ष 1950 में इस पूरे नृत्‍य रूप को एक नया रूप दिया गया, जिसके लिए अभिनय चंद्रिका और मंदिरों में पाए गए तराशे हुए नृत्‍य की मुद्राएं धन्‍यवाद के पात्र हैं।
 
किसी अन्‍य भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य रूप के समान ओडिसीओड़िसी के दो प्रमुख पक्ष हैं: नृत्‍य या गैर निरुपण नृत्‍य, जहां [[अंतरिक्ष]] और समय में शरीर की भंगिमाओं का उपयोग करते हुए सजावटी पैटर्न सृजित किए जाते हैं। इसका एक अन्‍य रूप अभिनय है, जिसे सांकेतिक हाथ के हाव भाव और चेहरे की अभिव्‍यक्तियों को कहानी या विषयवस्तु समझाने में उपयोग किया जाता है।
 
इसमें त्रिभंग पर ध्‍यान केन्द्रित किया जाता है, जिसका अर्थ है शरीर को तीन भागों में बांटना, सिर, शरीर और पैर; मुद्राएं और अभिव्‍यक्तियां भरत नाट्यम के समान होती है। ओडिसी नृत्‍य में [[विष्णु]] के आठवें अवतार [[कृष्‍ण]] के बारे में कथाएँ बताई जाती हैं। यह एक कोमल, कवितामय शास्‍त्री नृत्‍य है जिसमें उड़ीसा के परिवेश तथा इसके सर्वाधिक लोकप्रिय देवता, भगवान जगन्‍नाथ[[जगन्नाथ]] की महिमा का गान किया जाता है।
 
== मणिपुरी ==