"उपनिषद्": अवतरणों में अंतर

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भाषा तथा उपनिषदों के विकास क्रम की दृष्टि से डा. डासन ने उनका विभाजन चार स्तर में किया है:
;१. गद्यात्मक उपनिषद्
१. ऐतरेय, २. केन, ३. छांदोग्य, ४. तैत्तिरीय, ५. बृहदारण्यक तथा ६. कौषीतकि; <br>
इनका गद्य ब्राह्मणों के गद्य के समान सरल, लघुकाय तथा प्राचीन है।
 
;२.पद्यात्मक उपनिषद्
१.ईश, २.कठ, ३. श्वेताश्वतर तथा नारायण <br>
इनका पद्य वैदिक मंत्रों के अनुरूप सरल, प्राचीन तथा सुबोध है।
 
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१.प्रश्न, २.मैत्री (मैत्रायणी) तथा ३.मांडूक्य
 
; ४.आथर्वण (अर्थात् कर्मकाण्डी) उपनिषद् <br>
अन्य अवांतरकालीन उपनिषदों की गणना इस श्रेणी में की जाती है।