"हम साथ साथ हैं": अवतरणों में अंतर
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Ambikanandan (वार्ता | योगदान) |
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रामकिशन एक सम्मानित और धनी उद्योगपति हैं। उनका परिवार आधुनिक होते हुए भी परम्परागत एकता तथा परस्पर प्रेम का अनूठा उदाहरण है। उनके तीन बेटे-- विवेक, प्रेम, विनोद-- और एक बेटी-- संगीता-- है। रामकिशन तीनों बेटों और पत्नी ममता के साथ एक भव्य निवास में रहते हैं। विवेक उनकी दिवङ्गत पहली पत्नी का पुत्र है। उसे उसकी सौतेली माता ममता (रामकिशन की दूसरी पत्नी) ने पाला है। ममता प्रेम, संगीता और विनोद की सगी माता है किन्तु वह विवेक को भी उतना ही प्यार देती है जितना अपनी सन्तानों को। विवेक रामकिशन का व्यापार चलाने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है। बचपन की एक दुर्घटना में वह अपने भाइयों को बचाते हुए एक हाथ से विकलांग हो गया था। इस कारण उसके लिये योग्य वधू मिलने में कठिनाई होती है। संगीता विवाहिता है और ससुराल में रहती है। उसके पति का नाम आनन्द और नन्हीं बेटी का नाम राधिका है। संगीता के ससुराल में आनन्द के ज्येष्ठ भ्राता अनुराग, भाभी ज्योति और दो भतीजे राजू-बबलू भी हैं।
रामकिशन और ममता के विवाह की रजत जयन्ती पर एक भव्य समारोह का आयोजन होता है जिसमें परिवार के सभी सदस्य, बन्धु-बान्धव और परिचित लोग सम्मिलित होते हैं। इसमें आदर्श बाबू नाम के एक उद्योगपति अपनी इकलौती बेटी साधना के साथ आते हैं। विदेश में पली हुई मातृहीना साधना रामकिशन के संयुक्त परिवार की एकता और संस्कारयुक्त जीवन शैली से प्रभावित हो जाती है। अगले ही दिन आदर्श बाबू रामकिशन और ममता के आगे साधना और विवेक के परस्पर विवाह का प्रस्ताव रखते हैं जिसे सहर्ष स्वीकार कर लिया जाता है। विवेक को चिन्ता होती है कि साधना उसकी विकलांगता के साथ पूरा जीवन समझौता नहीं कर पायेगी। किन्तु साधना का अडिग निश्चय विवेक का संशय मिटा देता है। धूमधाम से दोनों का विवाह सम्पन्न हो जाता है। नववधू के स्वागत में एक मनोरंजक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसमें चुलबुला विनोद और पारिवारिक मित्र
इसके कुछ दिनों बाद विवेक, साधना, प्रेम, प्रीति, संगीता, आनन्द , विनोद, राजू, बबलू और राधिका रामकिशन के पैतृक गांव रामपुर में छुट्टी मनाने जाते हैं। सपना, जो अपने पिता और दादी के साथ वहीं रहती है, उन सब का स्वागत-सत्कार करती है। हंसी ठिठोली और मौज मस्ती के बीच विनोद और सपना का परस्पर आकर्षण सबके सामने आ जाता है। बहुत उल्लास के साथ उन दोनों की सगाई भी कर दी जाती है। अब रामकिशन यह निर्णय करते हैं कि व्यापार की बागडोर बेटों को सौंप कर वह काम से अवकाश ग्रहण कर लेंगे। वह ज्येष्ठ पुत्र विवेक को 'प्रबंध निदेशक' (मैनेजिंग डायरेक्टर) बनाने की अनौपचारिक घोषणा कर देते हैं। इस बात से सभी खुश होते हैं पर सपना के पिता
तभी एक अप्रत्याशित घटना से सब हतप्रभ रह जाते हैं। आनन्द के ज्येष्ठ भ्राता अनुराग उसे अपने व्यापार और घर से बेदखल कर देते हैं। संगीता, आनन्द और राधिका रामकिशन के घर आ जाते हैं। विवेक उन्हें पुनर्स्थापित करने के लिये बैंगलोर ले जाता है। इसी बीच
रामकिशन बंटवारे की मांग को ठुकरा देते हैं और अपनी पत्नी को समझाने का प्रयास करते हैं। किन्तु साधना ये बातें सुन लेती है और बैंगलोर से लौटने पर विवेक को सब बता देती है। विवेक तत्काल निर्णय करता है कि वह 'प्रबंध निदेशक' का पद प्रेम को दिलवा देगा और स्वयं साधना के साथ रामपुर में रहेगा, जिससे ममता की आशंका निर्मूल हो जाये। यह सुनकर विनोद भी विवेक और साधना के साथ जाने का निश्चय कर लेता है। तीनों घर से रवाना हो जाते हैं। प्रेम उस समय विदेश में होने के कारण इन बातों से अनभि़ज्ञ रहता है। रामपुर पहुंचने के कुछ समय बाद ही यह ज्ञात होता है कि साधना गर्भवती है। इस बीच प्रेम विदेश से लौट आता है और विवेक को वापस ले जाने का प्रयास करता है। विवेक के मना कर देने पर प्रेम अनिच्छा से 'प्रबंध निदेशक' बन जाता है। परन्तु वह उस पद को ज्येष्ठ भ्राता विवेक की धरोहर और अपने को उनका प्रतिनिधि मान कर चलता है। वह ममता के आगे संकल्प लेता है कि विवेक और साधना का महत्व यथास्थान बना रहेगा और उनके घर लौटने तक वह विवाह भी नहीं करेगा। वह कहता है कि सौतेलापन विवेक के मन में न हो कर स्वयं ममता के मन में है। ममता यह सब सुन कर अवाक् रह जाती है।
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