"तोपख़ाना": अवतरणों में अंतर
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'''तोपख़ाना''' या '''आर्टिलरी''' (<small>Artillery</small>) किसी फ़ौज या युद्ध में सैनिकों के ऐसे गुट को बोलते हैं जिनके मुख्य हथियार प्रक्षेप्य प्रकृति के होते हैं, यानि जो शत्रु की तरफ़ विस्फोटक गोले या अन्य चीज़ें फेंकते हैं। पुराने ज़माने में तोपख़ानों का प्रयोग क़िले की दीवारों को तोड़कर आक्रामक फौजों को अन्दर ले जाना होता था लेकिन समय के साथ-साथ तोपें हलकी और अधिक शक्तिशाली होती चली गई और अब उन्हें युद्ध की बहुत सी स्थितियों में प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में तोपख़ाने को ज़मीनी युद्ध का सबसे ख़तरनाक तत्व माना जाता है। [[प्रथम विश्वयुद्ध]] और [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] दोनों में सब से अधिक सैनिकों की मृत्यु तोपख़ानों से ही हुई। १९४४ में [[सोवियत संघ|सोवियेत तानाशाह]] [[जोसेफ़ स्टालिन]] ने एक भाषण में तोपख़ाने को 'युद्ध का भगवान' बताया।<ref name="ref56zofam">[http://books.google.com/books?id=ZfYLAQAAMAAJ Stalin and his generals: Soviet military memoirs of World War II], Seweryn Bialer, Westview Press, 1984, ISBN 9780865316102, ''... The exalted place of artillery was well expressed in Stalin's phrase - 'artillery is the god of war' ...''</ref>
आधुनिक युग की जंगों में हार-जीत में तोपख़ानों की इतनी बड़ी भूमिका रही है कि कुछ समीक्षकों के अनुसार '१६वीं
==इन्हें भी देखें==
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