"श्रावस्ती": अवतरणों में अंतर
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[[भारतवर्ष]] के [[उत्तर प्रदेश]] प्रांत के [[गोंडा जिला|गोंडा]]-[[बहराइच जिला|बहराइच]] जिलों की सीमा में पर यह प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थान है। [[गोंडा]]-[[बलरामपुर]] से १२ मील पश्चिम मे आज का '''सहेत-महेत''' गांव ही '''श्रावस्ती''' है। प्राचीन काल में यह [[कौशल]] देश की दूसरी राजधानी थी। भगवान [[राम]] के पुत्र [[लव]] ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। श्रावस्ती [[बौद्ध]] व [[जैन]] दोनो का तीर्थ स्थान है। [[तथागत]] दीर्घ काल तक श्रावस्ती मे रहे थे। यहां के श्रेष्ठी अनाथपिण्डिक असंख्य स्वर्ण मुद्रायें व्यय करके भगवान [[बुद्ध]] के लिये जेतवन बिहार बनवाया था। अब यहां बौद्ध धर्मशाला, मठ और मन्दिर हैं।
== प्राचीन नगर ==
यह कोसल-जनपद का एक प्रमुख नगर था। यहाँ का दूसरा प्रसिद्ध नगर अयोध्या था। श्रावस्ती नगर अचिरावती नदी के तट पर बसा था, जिसकी पहचान आधुनिक राप्ती नदी से की जाती है। इस सरिता के तट पर स्थित आज का सहेत-महेत प्राचीन श्रावस्ती का प्रतिनिधि है। इस नगर का यह नाम क्यों पड़ा, इस संबंध में कई तरह के वर्णन मिलते हैं। बौद्ध धर्म-ग्रन्थों के अनुसार इस समृद्ध नगर में दैनिक जीवन में काम आने वाली सभी छोटी-बड़ी चीज़ें बहुतायत में बड़ी सुविधा से मिल जाती थीं। यहाँ मनुष्यों के उपभोग-परिभोग की सभी वस्तुएँ सुलभ थीं; अत: इसे सावत्थी (सब्ब अत्थि) कहा जाता था।
[[श्रेणी:पवित्र शहर]]
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