"दाँत का बुरुश": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Toothbrush x3 20050716 002.jpg|right|thumb|300px|दांत बुरुश]]
 
'''दाँत का बुरुश''' (toothbrush) [[दाँत]] साफ करने के काम आता है। इसमें एक छोटा सा बुरुश होता है जिसमें पकड़ने के लिये हत्था (हंडिल) लगा रहता है।
 
 
ब्रश खरीदते समय ब्रश की बनावट व रंग से भी अधिक महत्त्व इन बातों का होता है—
 
* ब्रश के रेशे मुलायम हों, सख्त नहीं।
* सभी रेशे शीर्ष छोर पर समान सतह पर कटे हों।
* अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ रेशों का ब्रश मसूड़ों को छील सकता है।
* एक समान रेशे के हल्के से मुड़े हुए (अंदर की ओर) हैंडल वाले ब्रश अच्छे माने जाते हैं।
* ब्रश साफ करके बंद डिब्बे में रखें व प्रयोग से पहले धो लें।
* अच्छी कम्पनी का ब्रश ही खरीदें। यदि रेशे जरा भी कठोर लगें तो ब्रश बदल दें।
* अधिक टेढ़े-मेढ़े दांत हों तो कई आकार के सिरे वाला ब्रश प्रयोग में लाया जा सकता है किंतु नर्म ही होने चाहिए।
 
=== बुरुश करने की सही विधि व सावधानियाँ ===
यद्यपि बहुत दंत चिकित्सक हर भोजन के बाद ब्रश करने की सलाह देते हैं, परन्तु व्यावहारिक रूप से यह सम्भव नहीं है—
* प्रत्येक व्यक्ति खाना-पीना करने के बाद साफ पानी से कुल्ला ढंग से करें।
 
* दांतों के बीच खाली जगह में अन्नकण फंसे नहीं रहने चाहिये। ऐसे अन्नकणों के निकालने के लिए टूथपिक का इस्तेमाल करें। मुलामम लकड़ी, तांबा, चांदी या सोने की साफ टूथपिक से अन्नकण निकालें।
 
* भूलकर भी ऑलपीन, सूई या लोहे की किसी भी वस्तु से दांत न कुरेदें। जरा-सी लापरवाही से टिटनस का रोग हो सकता है, घाव हो सकते हैं, जख्म हो सकते हैं और मसूड़ों का रोग भी हो सकता है।
 
* प्लाक 14 घंटे बाद बनना शुरू होता है। अतः दिन में दो बार प्रातःकाल शौच करने के बाद व रात्रि में सोते समय ब्रश अवश्य करना चाहिये।
 
* याद रखें, प्रत्येक दांत को साफ करना है और उसकी सतह को भी।
 
* पीछे की सतह को पहले साफ करें।
 
* दांतों की चबाने वाली सतह जरूर साफ होनी चाहिए।
 
* तालू तथा जीभ की भी, साफ, मुलामय जीभी से या हाथ की उंगलियों से सफाई अवश्य करें।
 
* नीचे के जबड़े के बीच वाले (आगे के) दांतों के पीछे (जीभ वाली सतह पर) दंत पाषाण अधिक बनाता है क्योंकि
लार का सर्वाधाकि स्राव भी यहीं से होता है। इस सतह की सफाई जरूर करें।
 
* ऊपर के दांतों पर मसूड़ों से नीचे के दांतों पर मसूड़ों के ऊपर ब्रश अवश्य करना चाहिए।
 
* मीठी वस्तुएं जैसे बर्फी, रसगुल्ले, आइसक्रीम, चॉकलेट, टॉफी, शकरकंदी, गन्ना आदि खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें।
 
* भोजन के अंत में सलाद कच्ची सब्जी, फल जैसे सेब आदि खाना स्वास्थ्य व दांतों के लिए लाभकारी रहता है। इनमें छिपे/फसें हुए अन्नकण भी निकल जाते हैं। बाद में सादे पानी से कुल्ला कर लें।
 
* यदि प्रत्येक नास्ते एवं भोजन के बाद नमक पानी मिले या फिटकरी के पानी का कुल्ला करें तो दांतों की सेहत के लिए अच्छा रहता है।
 
* प्रातःकाल ब्रश करने के बाद नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से गले के साथ-साथ दांतों की भी सफाई हो जाती है।
 
* सप्ताह में एक दिन एक चाय का चम्मच पिसे हुए नमक में दस-बारह बूंद शुद्ध पीली सरसों के तेल को मिलाकर, दांतों व मशूढों की उंगली से मालिश करें आठ-दस मिनट हल्के-हल्के मालिश करते रहें।
 
* नित्यप्रति (एक बार में) कम से कम तीन मिनट तक ब्रश अवश्य करना चाहिए।
 
==इन्हें भी देखें==
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*[http://www.toothbrushcollection.org International Toothbrush Collection], a searchable database
*[http://www.bbc.co.uk/dna/h2g2/A2818686 BBC h2g2 The History of Toothpaste and Toothbrushes]
 
{{दन्त रोग}}
 
[[श्रेणी:दाँत]]