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प्राचीन काल में इन्‍द्रपुरी और इन्‍दूर के नाम से विख्‍यात '''[[आंध्र प्रदेश]]''' का '''निजामाबाद''' अपनी समृद्ध संस्‍कृति के साथ-साथ ऐतिहासिक स्‍मारकों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस जिले की सीमाएं [[करीमनगर]], [[मेडक]] और [[नंदेदू]] जिलों से मिलती और पूर्व में आदिलाबाद से मिलती हैं।
 
==इतिहास==
किंवदंती के अनुसार निज़ामाबाद नगर प्राचीन समय में त्रिकुंटकवंशीय इंद्रदत्त द्वारा लगभग 388 ई. में बसाया गया था। इस का राज नर्मदा और ताप्ती के निचले प्रदेशों में था। यह भी संभव जान पड़ता है कि नगर का नाम विष्णुकुंडिन इंद्रवर्मन् प्रथम (500 ई.) के नाम पर हुआ था। 1311 ई. में निज़ामाबाद पर अलाउद्दीन ख़िलजी ने आक्रमण किया। तत्पश्चात् यह नगर क्रमश: बहमनी, कुतुबशाही, और मुग़ल राज्यों में सम्मिलित रहा। अंत में निजाम हैदराबाद का यहाँ आधिपत्य हो गया। इंदूर ज़िले का नाम 1905 में निज़ामाबाद कर दिया गया था। इस ज़िले के प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला अतीव सुंदर है। नगर में 12वीं शती ई. की जैन-मूर्तियों के अवशेष मिले हैं जिन का कुतुबशाही काल में बने दुर्ग में उपयोग किया गया था। कंटेश्वर का अपेक्षाकृत नवीन मंदिर अत्यंत सुंदर है। नगर से छ: मील पर हनुमान मंदिर है जहाँ जनश्रुति के अनुसार महाराज शिवाजी के गुरु श्री समर्थ रामदास कुछ समय तक रहे थे।
 
 
==सीमाएं==