"गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 2:
'''गैलिलेयो''' (Galileo) [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिकी]] अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था [[नासा]] का एक [[अंतरिक्ष यान]] था जो हमारे [[सौर मंडल]] के सबसे बड़े ग्रह [[बृहस्पति (ग्रह)|बृहस्पति]] और उसके [[बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह|प्राकृतिक उपग्रहों]] का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था। यह १८ अक्टूबर १९८९ को पृथ्वी से रोकेट के ज़रिये छोड़ा गया और ७ दिसम्बर १९९५ को बृहस्पति पहुँच गया। इसने बृहस्पति के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए उसमें एक छोटा यान छोड़ा और बृहस्पति के साथ-साथ उसके चंद्रमाओं का अध्ययन किया।
 
गैलिलेयो ने बृहस्पति पर [[अमोनिया]] के बादल देखे, [[आयो (उपग्रह)|आयो]] पर ज्वालामुखी देखे, [[गैनिमीड (उपग्रह)|गैनिमीड]] और [[कैलिस्टोकलिस्टो (उपग्रह)|कैलिस्टोकलिस्टो]] पर सतह के नीचे खारे समुद्रों के मौजूद होने के संकेत पाए और [[युरोपा (उपग्रह)|युरोपा]] पर भी ऐसे समुद्र के ताज़ा प्रमाण पाए। इस यान के कार्यकाल के दौरान बृहस्पति पर शूमेकर-लेवी ९ नामक धूमकेतु गिरा और इस घटना का आँखों-देखा हाल उसने पृथ्वी को प्रसारित किया। उसने बृहस्पति के इर्द-गिर्द के हलके [[उपग्रही छल्लों]] को परखकर वैज्ञानिकों को यह अंदाज़ा लगाने में मदद की कि यह शायद विभिन्न चंद्रमाओं से उभरती हुई धुल से बने हैं। २१ सितम्बर २००३ को इसका कार्यकाल समाप्त घोषित किया गया। क्योंकि बृहस्पति के चंद्रमाओं में समुद्र और जीवन होने की संभावना है जिनके लिए इस यान पर मौजूद पृथ्वी से आये कीटाणु ख़तरनाक हो सकते थे इसलिए इस यान को ज़बरदस्ती बृहस्पति के वायुमंडल में तेज़ी से घुसकर जलाकर ध्वस्त कर दिया गया।<ref name="ref47quvob">[http://books.google.com/books?id=U4FZp6f6q6MC Introduction to planetary science: the geological perspective], Gunter Faure, Teresa M. Mensing, Springer, 2007, ISBN 9781402052330, ''... The Galileo spacecraft continued to orbit Jupiter for a total of eight years until September 21, 2003, when it was directed to plunge into Jupiter's atmosphere ...''</ref>
 
==इन्हें भी देखें==