"आर्यभटीय": अवतरणों में अंतर
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'''आर्यभटीय''' नामक ग्रन्थ की रचना [[आर्यभट|आर्यभट प्रथम]] (४७६-५५०) ने की थी।
इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं : 1. '''दश-गीतिका-पाद'''
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3. '''काल-क्रिया-पाद''' - समय-विभाजन तथा [[ग्रह|ग्रहों]] की स्थिति की गणना के लिये नियम
4. '''गोल-पाद''' - [[त्रिकोणमिति|त्रिकोणमितीय]] समस्याओं के हल के लिये नियम; [[ग्रहण]] की गणना
== गीतिकापाद ==
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