"वातरक्त": अवतरणों में अंतर

छो गठिया का नाम बदलकर वातरक्त कर दिया गया है।
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{{otheruses4|गठिया (गाउट)|आर्थ्राइटिसआर्थराइटिस|संधि शोथ|र्यूमेटॉयडरूमेटी आर्थ्याइटिससंधिशोथ|संधि शोथ }}
 
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{{Infobox disease |
Name = गठियावातरक्त |
other_name = गाउट |
Image = Uric acid.png |
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MeshID = D006073 |
}}
'''वातरक्त''' या '''गाउट''' (Gout) होने पर रोगी को तीव्र प्रदाह संधिशोथ (acute inflammatory arthritis) का बार-बार दर्द उठता है। गाउट के अधिकांश मामलों में पैर के अंगूठे के आधार पर स्थित प्रपदिक-अंगुल्यस्थि (metatarsal-phalangeal) प्रभावित होती है। लगभग आधे मामले इसी के होते हैं, जिसे पादग्रा (podagra) कहते हैं। किन्तु यह गुर्दे की पथरी, यूरेट वृक्कविकृति (urate nephropathy) या टोफी (tophi) का रूप में भी सामने आ सकती है। यह रोग रक्त में [[यूरिक अम्ल]] की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है। यूरिक अम्ल की बढ़ी हुई मात्रा क्रिस्टल के रूप में जोड़ों, कंडरा (tendons) तथा आसपास के ऊत्तकों पर जमा हो जाता है।
'''गठिया रोग''' (Gout) या संधिवात में रोगी के गांठों में असह्य दर्द होता है। यह रोग [[पाचन क्रिया]] से संबंधित है। इसके संबंध खून में [[यूरिक अम्ल|मूत्रीय अम्ल]] का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो)) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है। गठिया का रोग मसालेदार भोजन और शराब पीने से संबद्ध है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाये जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है।
 
'''गठिया रोग''' (Gout) या संधिवात में रोगी के गांठों में असह्य दर्द होता है। यह रोग [[पाचन क्रिया]] से संबंधित है। इसके संबंध खून में [[यूरिक अम्ल|मूत्रीय अम्ल]] का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठपादांगुष्ठ (ग्रेट टो)) में तथा कभी -कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है। गठिया का रोग मसालेदार भोजन और शराब पीने से संबद्ध है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाये जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है।
[[यूरिक अम्ल]] [[मूत्र]] की खराबी से उत्पन्न होता है। यह प्रायः [[गुर्दा|गुर्दे]] से बाहर आता है। जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आने (यह सामान्य कारण है) अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है, तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा (जोड़ों के स्थल) हो जाते है। रक्षात्मक कोशिकाएं इन क्रिस्टलों को ग्रहण कर लेते हैं जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निर्मुक्त हो जाते हैं। इसी से प्रभावित जोड़ खराब होते हैं-
 
[[यूरिक अम्ल]] [[मूत्र]] की खराबी से उत्पन्न होता है। यह प्रायः [[गुर्दा|गुर्दे]] से बाहर आता है। जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आने (यह सामान्य कारण है) अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है, तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा (जोड़ों के स्थल) हो जाते है। रक्षात्मक कोशिकाएं इन क्रिस्टलों को ग्रहण कर लेते हैं जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निर्मुक्त हो जाते हैं। इसी से प्रभावित जोड़ खराब होते हैं-हैं।
 
== संदर्भ ==