"औषधशास्त्र": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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1935 ई. में डोमाक ने सल्फ़ोनामाइड औषधियों का आविष्कार किया। बुड्स और फ़ाइल्ड्स ने इनकी प्रभावप्रणाली का विशदीकरण किया तथा जिस सिद्धांत का प्रतिपादन इन्होंने किया उसके आधार पर कई बहुमूल्य ओषधियाँ बनीं, जैसे [[मलेरियांतक]], अमीबा नाशक तथा क्षयजीवाणु-नाशक द्रव्यादि। फ़्लेमिंग द्वारा [[पेनिसिलीन]] के आविष्कार ने फ़ारमाकॉलोजी में एक नया अध्याय आरंभ किया। आज हमें स्ट्रेप्टोमाइसीन, क्लोरोमाइसेटीन, सल्फ़ा ड्रग्स तथा टेट्रासाइक्लीन आदि कई उपयोगी प्रतिजैविक ओषधियाँ प्राप्त हैं। आधुनिक आविष्कारों में से प्राशांतक (ट्रैंक्विलाइज़र्स) तथा रेडियो सक्रिय समस्थानिक महत्वपूर्ण हैं।
==इन्हें भी देखें==
*[[मान्य औषधकोश]]
*[[द्रव्यगुण शास्त्र]] (AYURVEDA PHARMACOLOGY)
==बाहरी कड़ियाँ==
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