"हिन्द-आर्य भाषाओं में श्वा विलोपन": अवतरणों में अंतर

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ध्यान दीजिये कि श्वा विलोपन के कारण कुछ अक्षरों के गुटों का उच्चारण उनकी शब्द में परीस्थिती के अनुसार बदल जाता है। 'सरल' का उच्चारण 'स्+अ+र्+अ+ल्' (सरल् 'saral') है जिसमें अंत का श्वा विलोपित है। लेकिन 'सरला' में नियमानुसार बीच के 'र' का 'अ' हटा दिया जाता है, यानी 'स्+अ+र्+ल्' (सर्ला 'sar.lā')। उसी तरह 'पालक' (पालक् pālak) और 'पालकी' (पाल्की 'pāl.ki') में बीच के 'ल' का श्वा पहले तो रखा जाता है लेकिन दुसरे शब्द से हटा दिया जाता है। उसी तरह 'दिल की धड़कने' में 'धड़कने' का सही उच्चारण 'धड़्कने' (dhad.kane) है, यानि 'ड़' का श्वा हटाया गया। लेकिन 'दिल धड़कने लगा' में 'धड़कने' का सही उच्चारण 'धड़क्ने' (dhadak.ne) है, यानि इस दफ़ा 'ड़' का श्वा रखा गया लेकिन 'क' का श्वा हटाया गया। हिन्दी के मातृभाषी इन शब्दों को बिना सोचे आराम से सही उच्चारित करते हैं, लेकिन ग़ैर-मातिभाषियों और कम्पयूटरों के लिए यह कठिनाई पैदा करते हैं। अक्सर उनके ग़लत उच्चारण से उनकी बोली 'अजीब' और 'सुनने वाले के लिए समझनें में कठिन' लगती है।<ref name="choudhury2002">[http://www.mla.iitkgp.ernet.in/papers/schwadeletionhindi.pdf A Rule Based Schwa Deletion Algorithm for Hindi], Monojit Choudhury and Anupam Basu, Proceedings of the International Conference On Knowledge-Based Computer Systems, July 2004, ''... Without any schwa deletion, not only the two words will sound very unnatural, but it will also be extremely difficult for the listener to distinguish between the two, the only difference being nasalization of the e at the end of the former. However, a native speaker would pronounce the former as dha.D-kan-eM and the later as dha.Dak-ne, which are clearly distinguishable ...''</ref>
 
==कुछ उदाहरण==
{| class="wikitable"
|- class="Unicode"
![[शब्द]]!!सही उच्चारण!![[हन्टेरियन लिप्यन्तरण|लिप्यन्तरण]]!!ग़लत लिप्यन्तरण!!टिप्पणी
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||जलन ||जलन् ||jalan ||jalana ||''आँखों में जलन - अंतिम अक्षर 'न' पर हलन्त न लगे होने के बावजूद हलन्त-जैसा उच्चारण अनिवार्य है ''
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||जलना ||जल्ना ||jalnā ||jalanā ||''आँखों का जलना - इस रूप में शब्द के मध्य अक्षर 'ल' पर न लिखे होने पर भी हलन्त लगता है ''
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||धड़कने ||धड़्कने ||dhaṛkaneṅ ||dhaṛakaneṅ ||''दिल धड़कने लगा - यहाँ 'ड़' पर श्वा ग्रहण लागू है ''
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||धड़कनें ||धड़क्नें ||dhaṛakne ||dhaṛakane ||''दिल की धड़कनें - यहाँ 'क' पर श्वा ग्रहण लागू है ''
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||नमक ||नमक् ||namak ||namaka ||''अहिन्दी लहजे से बोलने वाले अंतिम वर्ण ('क') पर कभी-कभी श्वा विलोपन नहीं करते जो हिन्दी मातृभाषियों को 'नमका' सा प्रतीत होता है ''
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||नमकीन ||नम्कीन् ||namkīn ||namakīna ||''नमक में 'क' पर श्वा विलोपन हुआ था, लेकिन 'नमकीन' में श्वा विलोपन, शब्द के मध्य में 'म' और शब्द के अंत में 'न' पर है; अहिन्दी लहजे से बोलने वाले इन वर्णों पर कभी-कभी श्वा ग्रहण नहीं करते जो हिन्दी मातृभाषियों को 'नमाकीना' सा प्रतीत होता है ''
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||उत्तर प्रदेश ||उत्तर् प्रदेश् ||uttar pradesh ||uttara pradesha ||''अहिन्दी लहजे से बोलने वाले इन वर्णों पर कभी-कभी श्वा विलोपन नहीं करते जो हिन्दी मातृभाषियों को 'उत्तरा प्रदेशा' सा प्रतीत होता है ''
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||तुलसी ||तुल्सी ||tulsī ||tulasī ||''शब्द के मध्य वाले 'ल' पर श्वा विलोपन न करने से शब्द हिन्दी मातृभाषियों को 'तुलासी' सा प्रतीत होता है ''
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||पलक ||पलक् ||palak ||palaka ||''आँख की पलक - एकवचन शब्द 'पलक' में 'क' पर श्वा विलोपन है ''
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||पलकें ||पल्कें ||palkeṅ ||palakeṅ ||''आँखों की पलकें - बहुवचन शब्द 'पलकों' में श्वा विलोपन 'क' से हट के 'ल' पर लग जाता है ''
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==इन्हें भी देखें==