"सिंघम": अवतरणों में अंतर

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==कथानक==
फ़िल्म की शुरुआत एक ईमानदार पुलिस अफसर राकेश कदम (सुधांशु[[सुधाँशु पांडे]]) के आत्महत्या करने से होती है क्योंकि उसपर रिश्वत लेने का झूठा आरोप जयकांत शिकरे ([[प्रकाश राज]]) ने लगाया गया था जो [[गोवा]] का गुंडा राजनेता है। कदम की पत्नी मेघा कदम ([[सोनाली कुलकर्णी]]) इस बात का बदला लेने की कसम खाती है।
 
कहानी शिवागढ़ में बढती है जहां बाजीराव सिंघम ([[अजय देवगन]]), कदम की तरह ही एक ईमानदार पुलिस अफसर वहां के स्टेशन का मुखिया है। वह अपने गाँव की अधिकतर परेशानियां अहिंसा व आपसी सामंजस्य से सुलझाता ह।. वह बल का उपयोग तभी करता है जब उसकी आवश्यकता होती है और इस कारण उसे गांववालों से सम्मान व प्यार दोनों मिलता है। गौतम भोसले ("गोटया", [[सचिन खेडेकर]]) एक व्यापारी है और सिंघम के पिता मानिकराव सिंघम ([[गोविन्द नामदेव]]) का मित्र है। एक दिन वह गाँव में अपनी बेटी काव्या ([[काजल अग्रवाल]]) के साथ आता है। सिंघम व काव्या एक दूसरे से प्यार करने लगते है।
 
सब कुछ अच्छा चल रहा होता है जब एक दिन जयकांत, जिसे बेल पर खून के आरोप में छोड़ा होता है, को शिवागढ़ आकार हर चौथे दिन बेल के कागज़ात पर हस्ताक्षर करने पड़ते है। स्वयं आने के बजाए वह अपने दो आदमियों को कार्य पूरा करने भेजता है जिससे सिंघम चिढ जाता है और जयकांत को स्वयं आकार हस्ताक्षर करने को कहता है। अपमानित हो कर जयकांत शिवगढ़ पहुँच जाता है पर गाँव वालों के सिंघम के प्रति निष्ठां व प्रेम देख कर बदला नहीं ले पाता। वह अपनी राजनैतिक शक्ति का प्रयोग करके सिंघम का तबादला गोवा में करवा लेता है ताकि उसे सबक सिखा सके।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सिंघम" से प्राप्त