"सिंघम": अवतरणों में अंतर

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सब कुछ अच्छा चल रहा होता है जब एक दिन जयकांत, जिसे बेल पर खून के आरोप में छोड़ा होता है, को शिवागढ़ आकार हर चौथे दिन बेल के कागज़ात पर हस्ताक्षर करने पड़ते है। स्वयं आने के बजाए वह अपने दो आदमियों को कार्य पूरा करने भेजता है जिससे सिंघम चिढ जाता है और जयकांत को स्वयं आकार हस्ताक्षर करने को कहता है। अपमानित हो कर जयकांत शिवगढ़ पहुँच जाता है पर गाँव वालों के सिंघम के प्रति निष्ठां व प्रेम देख कर बदला नहीं ले पाता। वह अपनी राजनैतिक शक्ति का प्रयोग करके सिंघम का तबादला गोवा में करवा लेता है ताकि उसे सबक सिखा सके।
 
सिंघम इस बात से अनजान की उसके तबादले के पीछे जयकांत का हाथ है, कोलवा पोलिस थाने में कार्यरत हो जाता है। उसके सहकारी, सब-इन्स्पेक्टर फडनिस (विनीत शर्मा), सब-इन्स्पेक्टर अब्बास (अंकुर नय्यर), मुख्य कांस्टेबल सावलकर ([[अशोक सर्राफ]]) जयकांत को उसके जुर्मों की वहजह से नफ़रत करते है परन्तु उसकी राजनैतिक तकाद के कारण उस पर कोई आरोप नहीं लगा पाते। डीएसपी पाटकर ([[मुरली शर्मा]]), सिंघम का सीनियर, जयकांत के लिए कार्य करता है और इसके खिलाफ़ सारे सबूतों को मिटाता रहता है। सिंघम इस बात को डीजीपी विक्रम पवार (प्रदीप वेलंकर) के पास ले कर जाता है परन्तु कुछ सिद्ध नहीं कर पता क्योंकि जयकांत और पाटकर के खिलाफ उसके पास कोई सबूत नहीं होते। वहां का मंत्री अनंत नार्वेकर (अनंत जोग) भी सिंघम को मदद करने से इनकार कर देता है व उसे जयकांत के मामलों से दूर रहने को कहता है। हार कर सिंघम अपने गाँव वापस जाने का निर्णय लेता है परन्तु उसे काव्या रोक लेती है और उसे जुर्म से भागने की जगह उससे लड़ने को उकसाती है।
 
== मुख्य कलाकार ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सिंघम" से प्राप्त