"लिंगराज मंदिर": अवतरणों में अंतर

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==मान्यता==
धार्मिक कथा है कि लिट्टी तथा वसा नाम के दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था। संग्राम के बाद उन्हें प्यास लगी, तो शिवजी ने कूप बनाकर सभी पवित्र नदियों को योगदान के लिए बुलाया। यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है। सैकड़ों वर्षों से भुवनेश्वर यहीं पूर्वोत्तर भारत में शैवसम्प्रदाय का मुख्य केन्द्र रहा है। कहते हैं कि मध्ययुग में यहाँ सात हज़ार से अधिक मन्दिर और पूजास्थल थे, जिनमें से अब क़रीब पाँच सौ ही शेष बचे हैं।
 
==रचना-सौंदर्य==
 
== निर्माण ==