"लिंगराज मंदिर": अवतरणों में अंतर

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==अन्य प्रसिद्ध मन्दिर==
यहाँ से पूरब की ओर ब्रह्मेश्वर, भास्करेश्वर समुदाय के मन्दिर हैं। यहीं पर राजा-रानी का सुप्रसिद्ध कलात्मक मन्दिर है, जिसका निर्माण सम्भवतः सातवीं सदी में हुआ था। किन्तु मुख्यमन्दिर में प्रतिमा ध्वस्त कर दी गई थी, अतः पूजा अर्चना नहीं होती है। इसके पास ही मन्दिरों का सिद्धारण्य क्षेत्र है, जिसमें मुक्तेश्वर, केदारेश्वर, सिद्धेश्वर तथा परशुरामेश्वर मन्दिर सबसे प्राचीन माना जाता है। ये मन्दिर कलिंग और द्रविड़ स्थापत्यकला के बेजोड़ नमूने हैं, जिन पर जगह-जगह पर बौद्धकला का प्रभाव भी दृष्टिगोचर होता है। भुवनेश्वर के प्राचीन मन्दिरों के समूह में बैतालमन्दिर का विशेष स्थान है। चामुण्डादेवी और महिषमर्दिनी देवीदुर्गा की प्राचीन प्रतिमाओं वाले इस मन्दिर में तंत्र-साधना करके आलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं। इसके साथ ही सूर्य उपासना स्थल है, जहाँ सूर्य-रथ के साथ उषा, अरुण और संध्या की प्रतिमाएँ हैं। भुवनेश्वर में महाशिवरात्रि के दिन विशेष समारोह होता है। लिंगराज मन्दिर में सनातन विधि से चौबीस घंटे पूरे विधि-विधान के साथ महादेव शिवशंकर की पूजा-अर्चना की जाती है।
 
== निर्माण ==