"चित्रशाला": अवतरणों में अंतर

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==चित्रशाला का वर्गीकरण==
पहले के संग्रहालयों में सांमतों और राजाओं की व्यक्तिगत रुचि की सामग्रियाँ ही होती थीं1थीं। किंतु जब राष्ट्रीयं संग्रहालय बनने लगे तब लोगों का ध्यान इस ओर भी गया कि सारी कलात्मक सामग्री को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक दृष्टि से इस प्रकर वर्गीकृत किया जाय कि उनके सहज विकासक्रम का पता चल सके। वियना में कलात्मक सामग्रियों के निर्देशक क्रिश्चियन वान मिचेल ने राष्ट्रीय संग्रहालय को सर्वप्रथम इसी ढंग पर सजाया और यह परिपाटी चल पड़ी। फलत: [[लंदन]] (1824), [[बर्लिन]] (1830) [[म्यूनिख]] (1836) तथा अन्य कई नगरों में इस प्रकार के राष्ट्रीय संग्रहालय बने। 19वीं शताब्दी में धीरे धीरे योजनाबद्ध संग्रहालय का विकास होता गया। इंग्लैंड में विक्टोरिया तथा [[अलबर्ट संग्रहालय]] बड़े ही सुनियोजित ढंग से हर प्रकार की कला को उनके विकासक्रम से सजाया ताकि उनका वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जा सके। प्रागैतिहासिक काल से लेकर पूर्व और पश्चिम की आधुनिकतम तमाम कलात्मक सामग्रियों का क्रम से संयोजित किया गया। यहाँ तक कि आदिवासियों की कला तथा लोककला को भी उनके विकासक्रम से प्रदर्शित किया जाने लगा।
 
इस प्रकार संग्रहालय का अपना एक विज्ञान बन गया और उसमें निरंतर प्रगति होती गई। संग्रहालय के लिये विशेषज्ञ तैयार होने लगे जिन्हें "क्यूरेटर" कहा जाता है। विशेषज्ञों ने संग्रहालय को और भी निखारने के लिये शु डिग्रीशुरू में उन्हें चार विभागें में विभक्त किया -
: (1) कला, (2) इतिहास, (3) उद्योग और विज्ञान तथा (4) प्राकृतिक इतिहास (मेमालोजी, नृतत्वविज्ञान)

कला से संबंधितसंग्रहालयसंबंधित संग्रहालय के अंतर्गत ही चित्रशाला या आर्ट गैलरी आती है।
 
==बीसवीं सदी की चित्रशालाएँ==