"अप्पय दीक्षित": अवतरणों में अंतर

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'''अप्पय दीक्षित''' (जन्म लगभग 1550 ई.) [[वेदांत]] [[दर्शन]] के विद्वान्‌। इनके पौत्र नीलकंठ दीक्षित के अनुसार ये 72 वर्ष जीवित रहे थे। 1626 में शैवों और वैष्णवों का झगड़ा निपटाने ये पांड्य देश गए बताए जाते हैं। सुप्रसिद्ध वैयाकरण [[भट्टोजि दीक्षित]] इनके शिष्य थे। इनके करीब 400 ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। शंकरानुसारी अद्वैत वेदांत का प्रतिपादन करने के अलावा इन्होंने [[ब्रह्मसूत्र]] के शैव भाष्य पर भी शिव की मणिदीपिका नामक शैव संप्रदायानुसारी टीका लिखी। [[अद्वैतवाद|अद्वैतवादी]] होते हुए भी शैवमत की ओर इनका विशेष झुकाव था।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[एकजीववाद]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==