"दक्षिण अमेरिका": अवतरणों में अंतर

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{{main|दक्षिण अमेरिका की जलवायु }}
[[चित्र:South-America Koppen Map.png|thumb|right|दक्षिण अमेरिका का कोप्पेन मानचित्र]]
[[भूमध्य रेखा]] दक्षिणी अमेरिकी के उत्तरी भाग से होकर गुजरती है एवं इस [[महाद्वीप]] की सबसे अधिक चौड़ाई उत्तर में ही है। अतः दक्षिणी अमेरिका का अधिकांश भाग [[उष्ण कटिबन्ध]] में पड़ता है इसलिए यहाँ की [[जलवायु]] मोटे तौर पर गर्म एवं नम है। इसका अधिकांश भाग [[दक्षिणी गोलार्ध]] में पड़ने की वजह से यहाँ के ऋतुओं का क्रम [[उत्तरी गोलार्ध]] के विपरीत होता है। यहाँ जनवरी में गर्मी की ऋतु तथा जुलाई में जाड़े की ऋतु होती है। महाद्वीप के पश्चिम में उत्तर से दक्षिण दिशा में [[एण्डीज पर्वत]] स्थित है जो एक जलवायु सम्बंधी बाधा का कार्य करती है। उष्ण कटिबन्ध में स्थित होने पर भी एण्डीज पर्वत तथा ब्राज़ील एवं गायना के पठारी भागों पर अधिक ऊँचाई के कारण तापक्रम कम तथा आनन्दायक रहता है। एण्डीज पर्वत [[व्यापारिक हवाओं]] को पश्चिम की ओर जाने से रोकता है जिससे इसके पूर्वी भाग में तो खूब वर्षा होती है परन्तु पश्चिमी तटीय सँकरी पट्टी में बहुत कम वर्षा होती है। इसके विपरीत दक्षिणी अमेरिका का दक्षिणी भाग पछुआ हवाओं की पेटी में स्थित है अतः पश्चिमी तटीय भाग में तो खूब वर्षा होती है परन्तु पूर्व की ओर जाने पर ये हवाएँ शुष्क हो जाती हैं जिससे एण्डीज पर्वत के पूर्वी भाग में बहुत कम वर्षा होती है। [[दक्षिणी विषुवतरेखीय जलधारा|दक्षिणी भूमध्यरेखीय]] तथा [[ब्राज़ील की गर्म धारा|ब्राज़ील की गर्म धाराओं]] के प्रभाव से दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भाग का तापक्रम ऊँचा रहता है। साथ ही इनके ऊपर से जाने वाली हवाएँ गर्म होकर अधिक जलवाष्प ग्रहण कर लेती हैं जिससे उनसे पर्याप्त वर्षा होती है। इसके विपरीत महाद्वीप के दक्षिणी भाग में पश्चिमी तट के समीप पीरू या [[हम्बोल्ट की ठण्डी धारा]] तथा पूर्वी तट के समीप [[फाकलैण्ड की ठण्डी धारा]] बहती है। इन धाराओं के प्रभाव से समीपवर्ती भाग की जलवायु ठण्डी एवं शुष्क रहती है। [[मकर रेखा]] के दक्षिण दक्षिणी अमेरिका की चौड़ाई अत्यन्त कम हो जाती है। अतः समुद्र की समीपता के कारण महाद्वीप के दक्षिणी भाग की जलवायु प्रायः सम रहती है।
 
दक्षिण अमेरिका के [[अमेज़न नदी]] के बेसिन में वर्ष भर गर्म व नम [[भूमध्यरेखीय जलवायु]] पाई जाती है।<ref>{{cite book |last=सिहं |first=सविन्द्र |title= भौतिक भूगोल |year=जुलाई २००२ |publisher=वसुन्धरा प्रकाशन |location=गोरखपुर |id= |page=४९४ |accessday= २६|accessmonth= जुलाई|accessyear= २००९}}</ref> [[सवाना|सवाना तुल्य जलवायु]] अमेज़न बेसिन के उत्तर में [[ओरीनिको नदी]] के बेसिन तथा दक्षिण में [[ब्राजील का पठार|ब्राजील के पठारी भाग]] पर पाई जाती है। इस भाग पर [[तापक्रम]] तो ऊँचा रहता है परन्तु [[वर्षा]] केवल गर्मी के कुछ ही महीनों में तथा कम मात्रा में होती है। पूर्वी ब्राज़ील में व्यापारिक हवाओं के प्रभाव से केवल गर्मी में वर्षा होती है और जाड़े में ऋतु शुष्क होती है। यहाँ गर्मी में अधिक गर्मी तथा जाड़े में साधारण जाड़ा पड़ता है। इस प्रकार यहाँ [[भारत]] की तरह [[मानसून जलवायु|उष्ण मानसून जलवायु]] पाई जाती है। दक्षिण [[पीरू]] तथा उत्तरी [[चिली]] के कुछ भागों में [[उष्ण मरुस्थलीय जलवायु]] पाई जाती है। इस मरुस्थल को [[अटाकामा मरुस्थल]] कहते हैं। यहाँ की जलवायु अत्यन्त विषम होती है तथा वर्षा नाममात्र को होती है। यहाँ कई वर्षों तक तो एक बूँद भी वर्षा नहीं होती है। अटाकामा मरुस्थल के दक्षिण मध्य चिली में [[भूमध्यसागरीय जलवायु]] पाई जाती है। इस भाग में केवल जाड़े में वर्षा होती है और गर्मी की ऋतु शुष्क होती है। गर्मी में साधारण गर्मी तथा जाड़े में साधारण जाड़ा पड़ता है। उत्तरी-पूर्वी [[अर्जेंटीना]] और पश्चिमी [[पराग्वे]] के मैदानी भाग में यान चाको एवं [[पम्पास]] प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में कुछ वर्षा हो जाती है तथा शीत ऋतु सूखी रहती है। यहाँ गर्मी में काफी गर्मी पड़ती है तथा जाड़े में तापक्रम काफी कम हो जाता है। इस प्रकार यहाँ प्रेयरी तुल्य जलवायु पाई जाती है। [[उत्तरी अमेरिका]] के प्रेयरी प्रदेश की तुलना में इस भाग की जलवायु कम विषम है। महाद्वीप के सुदूर दक्षिण अर्थात् दक्षिणी चिली में [[पछुआ हवाओं]] से वर्ष भर वर्षा होती है। यह भाग [[समशीतोष्ण कटिबन्ध]] में स्थित है। इस प्रकार की जलवायु सामान्यतया शीत शीतोष्ण कटिबन्ध में महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में पाई जाती है। इस जलवायु को पश्चिमी यूरोप तुल्य जलवायु या ब्रिटिश तुल्य जलवायु भी कहते हैं। पंपास प्रदेश के दक्षिण तथा एण्डीज पर्वतमाला के पूर्वी भाग पर पैटागोनिया का शीतोष्ण मरुस्थलीय भाग है। एण्डीज पर्वतों के वृष्टिछाया प्रदेश में स्थित होने के कारण यहाँ की जलवायु अत्यन्त शुष्क है। एण्डीज के पर्वतीय भाग में ऊँचाई के कारण तापक्रम काफी कम रहता है।