"मध्यनूतन युग": अवतरणों में अंतर

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'''मध्यनूतन[[तृतीय कल्प''' (Miocene Period) तृतीय महाकल्प]] आज से पाँच करोड़ वर्ष पूर्व आरंभ होता है। इस महाकल्पकल्प का सामयिककालक्रमिक विभाजन [[जीवविकास]] के आधार पर, [[सर चार्ल्स लॉयल]] ने 1833 ई में तीन भागों, आदिनूतन (Eocene), मध्यनूतन (Miocene) और अतिनूतन (Pliocene) में किया था। इसके पश्चात् दो अन्य कल्पयुग भी इसके अंतर्गत ले लिए गए। '''मध्यनूतन कल्पयुग''', [[अल्पनूतन युग]] (Oligocene) कल्प के बाद आरंभ होता है। इसका समय आज से 2 1/2ढ़ाई करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है। इस समय के शैलसमूह पृथ्वी पर बिखरे हुए पाए जाते हैं, जिनसे यह विदित होता है कि ये किसी बड़े जलसमूह या समुद्र में नहीं बने हैं, अपितु छोटी छोटी झीलों में इनका निक्षेपण हुआ है। इसका मुख्य कारण पृथ्वी के धरातल का शनै: शनै: ऊँचा होना है। यूरोप में ऐल्पस् और एशिया में हिमालय के प्रकट हो जाने से, वहाँ का जलसमूह या तो सूख गया था, या छोटी छोटी झीलों में परिवर्तित हो गया, जिसके फलस्वरूप इस कल्प के शैलसमूहों का समस्तरक्रम (homotaxis) केवल उनमें पाए जानेवाले फॉसिलों[[जीवाश्म|जीवाश्मों]] के द्वारा हो सकता है।
 
==मध्यनूतन कल्प के जीव एवं वनस्पतियाँ==
यद्यपि इस समय का जलवायु शीतोष्ण था, फिर भी कुछ पौधों, जैसे [[सीनामोमम]] (Cinnamomum), के कहीं कहीं पर मिलने से यह मालूम होता है कि जलवायु समशीतोष्ण भी था। इस कल्प की वनस्पति में बाँज़, एल्म (elm), भुर्ज (birch), बीच (beech), ऐल्डर (alder), होली (holly), आइवी (ivy) आदि मुख्य थे। अकेशरुकी में प्रवाल और एकाइनॉड विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। मध्यनूतन कल्प के फॉसिलों में स्तनधारियों की संख्या अत्यधिक थी। इनमें सूँड़वाले जीव, जैसे मैस्टोडॉन तथा डाइनोथेरियम भी थे। घोड़ों का विकास चरम सीमा पर पहुँच चुका था।
 
==विस्तार एवं कालविभाजन==