"त्रेतायुग": अवतरणों में अंतर

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'''त्रेतायुग''' हिंदू मान्यताओं के अनुसार चार युगों में से एक युग है। '''त्रेता युग''' मानवकाल के द्वितीय युग को कहते हैं। इस युग में [[विष्णु]] के पाँचवे, छठे तथा सातवें अवतार प्रकट हुए थे। यह अवतार [[वामन् अवतार|वामन]],<ref>[http://www.indianetzone.com/6/vamana_avatar.htm Vamana Avatar]</ref> [[परशुराम]] और [[राम]] थे। यह मान्यता है कि इस युग में ॠषभ रूपी [[यमराज|धर्म]] रूपी ॠषभ तीन पैरों में खड़े हुए थे।<ref name=kaliyug>[http://www.hinduism.co.za/kaliyuga.htm Kali Yuga]</ref> इससे पहले सतयुग में वह चारों पैरों में खड़े थे। इसके बाद द्वापर युग में वह दो पैरों में, और आज के अनैतिक युग में, जिसे कलियुग कहते हैं, सिर्फ़ एक पैर पर ही खड़े रहे। यह काल [[राम]] के देहान्त से समाप्त होता है। त्रेतायुग १२,९६,००० वर्ष का था।<ref>[http://www.hinduism.co.za/kaliyuga.htm Kali Yuga]<name=kaliyug/ref>
ब्रह्मा का एक दिवस 10,000 भागों में बंटा होता है, जिसे चरण कहते हैं:
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