"भिखारीदास": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 70:
लाज को अंचै कै, कुलधरम पचै कै, वृथा
बंधान सँचै कै भई मगन गोपाल में
 
{{रीति काल के कवि}}
 
[[श्रेणी:रीति काल के कवि]]
 
 
 
[[en:Bhikharidas]]