"राजबहादुर 'विकल'": अवतरणों में अंतर

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</ref> - म्रत्यु: 15 अक्टूबर 2009) वीर रस के सिद्धहस्त कवियों में थे। विकल उनका उपनाम था जिसका शाब्दिक अर्थ होता है बेचैन आत्मा। निस्संदेह उनके शरीर में किसी शहीद की बेचैन आत्मा प्रविष्ट हो गयीं थी। काकोरी शहीद इण्टर कालेज [[जलालाबाद (शाहजहाँपुर)]] में काफी समय तक अध्यापन करते रहने के कारण उन्हें '''विकल जलालाबादी''' के नाम से भी जाना जाता था।
"दुनिया मत पन्थ बने, इसका, अपने हाथों निपटारा है। रणभेरी के स्वर में गरजो, पूरा कश्मीर हमारा है।" इन पंक्तियों से हुक्मरानोंअवाम को भी झकझोर कर रख देने वाले आग्नेय कवि राजबहादुर 'विकल' का जीवन-दीप सनसन् 2009 की [[दीपावली]] केको दिनउस समय बुझ गया।गया जब पूरा देश रोशनी में नहा रहा था। उन्होंने 85 वर्ष का यशस्वी जीवन पाया।
 
==संक्षिप्त परिचय==