"बीमा विज्ञान": अवतरणों में अंतर
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'''बीमा विज्ञान''' (Insurance and Actuarial Science) केवल बीमे का साधारण ज्ञान नहीं है, अपितु यह [[गणित]], [[रसायन]] आदि अन्य विज्ञानों की तरह ही एक विशेष प्रकार का [[विज्ञान]] है, जिसकी उन्नति विशेष रूप से बीमे के
== बीमा विज्ञान का आधार ==
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मान लीजिए सनई एक 20 वर्षीय स्वस्थ युवक है। उसके व्यवसाय, वंशपरंपरा, रहन सहन आदि सब का विचार कर बीमा विज्ञ ने यह निश्चित किया कि एक वर्ष में सनई जैसे एक हजार व्यक्तियों में से दो के मरने की आशा है, तो हम कहेंगे कि मत्र्यता की वार्षिक दर हजार में दो, अथवा 0.002, है।
बीमाविज्ञ आँकड़ों के आधार पर एक श्रेणी विशेष या समूह के लिए भविष्यवाणी करते हैं। उन्हें किसी व्यक्तिविशेष में कोई रुचि नहीं होती। वे मरनेवाले व्यक्तियों के परिवार की सहायता करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बीमा योजनाएँ बनाई हैं। वे अर्जक युवकों को कहते हैं, ""हमारी किसी जीवन बीमा योजना में बीमा करा लो। असमय में मरनेवालों का भला होगा, जीनेवालों का भी भला होगा।"" जीवन बीमा तथा अन्य प्रकार के बीमों में यह बड़ा
बीमाविज्ञ जानते हैं कि थोड़े से लोगों का बीमा करने से भविष्यवाणी के अंकों और वास्तविक अंकों में
बड़े पैमाने पर बीमे का काम करने से बीमाकृत जनसमूह से बहुत बड़ी धनराशि आती है। इतनी बड़ी धनराशि से अच्छा सूद कमाया जा सकता है। जीवन बीमा निगम के पास लगभग सात अरब रुपयों की धनराशि है, जिससे ब्याज आदि के रूप में कई करोड़ रुपये वार्षिक प्राप्त होते हैं। इतनी बड़ी धनराशि से राष्ट्र की बड़ी सेवा होती है। इस धनराशि का एक बड़ा भाग, सरकारों के पास सूद पर जमा किया जाता है, जिसका पंचवर्षीय योजनाओं को कार्यान्वित करने में उपयोग हाता है। साथ ही उपर्युक्त धनराशि से निजी व्यवसायों को भी पूँजी प्राप्त होती है। बड़े पैमाने पर काम करने में बड़ी मेहनत और बड़े संगठन की भी आवश्यकता है। इसके
बीमाविज्ञ मत्र्यता, भविष्य में कमाया जानेवाला ब्याज और होनेवाली आय तथा बीमे के लिए आवश्यक संगठन पर होनेवाले व्यय आदि पर ध्यान रखते हैं। ये सभी पहले से ठीक ठीक निश्चित नहीं किए जा सकते, फिर भी भूत, वर्तमान और समाज की दशा आदि देखकर यथासंभव सही अनुमान लग जाता है। इन्हीं सब बातों पर विचारकर बीमा किस्त निर्धारित की जाती है।
किसी बीमा संस्था की अतुल धनराशि को ही देखकर उसकी आर्थिक दशा का अनुमान नहीं किया जा सकता। जो शुल्क बीमाकृत व्यक्तियों से प्राप्त होता रहता है, उसका अधिकांश उन्हें या उनके आश्रितों को कई वर्षों बाद बीमा धन के रूप में लौटाया जाता है। एक नई बीमा संस्था या तेजी से वृद्धि करनेवाली बीमा संस्था के पास आर्थिक दशा खराब होने पर भी अपार धन राशि होगी, अत: मूल्यांकन के रूप में बीमाविज्ञ का अंकुश संस्था पर न हो तो
बीमाविज्ञ बनने के लिए गणित की योग्यता बहुत अच्छी होनी चाहिए। बीमाविज्ञ को किसी भी प्रश्न पर विचार करते समय, उसे हर पक्ष से देखना होता है। उसे सांख्यिकी का अच्छा ज्ञान तथा व्यावहारिक अर्थशास्त्र का भी बहुत ज्ञान प्राप्त करना होता है। बीमा विज्ञान की शिक्षा एक उत्तम प्रकार की शिक्षा है और मनुष्य को किसी भी स्थल में योग्यतापूर्वक काम करने में सहायता देती है।
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