"ज़ाक देरिदा": अवतरणों में अंतर
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'''ज़ाक डेरिडा''' (15 जुलाई 1930 – 8 अक्तूबर 2004) अल्जीरिया में जन्में एक फ्रांसीसी दार्शनिक थे जिन्हें विरचना (deconstruction) के
== जीवन ==
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वहाँ के फ्राँसिसी प्रशासकों ने डेरिडा को 1942 में उनके स्कूल जाने के पहले दिन ही [[Vichy France|विचे]] सरकार की यहूदियो के प्रति भेदभाव की नीति अपनाते हुये निष्कासित कर दिया था। उन्होंने विस्थापित यहूदी अध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा आरम्भ किये स्कूल जाने के बजाये एक वर्ष के लिए गोपनीय तरीके से स्कूल से अनुपस्थित रहना अधिक बेहतर समझा। इस बीच कईं फुटबाल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए – वे एक व्यवसायिक खिलाड़ी बनने का सपना संजोय थे – वे रूसो, अल्बर्ट कामू, फ्रेदरिक नीत्सचे और आन्द्रे ज़ीड जैसे दार्शनिकों और लेखकों को पढ़ते रहे। उन्होंने दर्शन शास्त्र के विष्य में गम्भीरता से लगभग 1948 और 1949 में सोचना शुरू किया। वे पेरिस के लुई-ल-ग्राँद स्कूल में विद्यार्थी बनें, जहाँ जाना उन्हें अच्छा नहीं लगा। 1951–52 में अपने स्कूल के अध्ययन वर्ष के अन्त में वे इकोल नोरमेल सुपेरियर की प्राम्भिक परीक्षा में तीसरे प्रयास में ही सफल हो पाये।
इकोल नोरमेल सुपेरियर में पहले दिन वे लुई आल्थुसर से मिले, जो उनके मित्र बन
इस युद्ध के बाद डेरिडा ने तेल कैल समूह से जुड़े साहित्यिक तथा दार्शनिक सिद्धाँतवादियों से एक लंबा चलने वाल संवाद आरम्भ किया। इसी समय में डेरिडा ने 1960 से लेकर 1964 तक सॉरबॉन में और 1964 से 1984 तक इकोल नोरमेल सुपेरियर में दर्शन पढ़ाया। उनकी पत्नी मारग्रीट ने उनके पहले बच्चे, पियेर, को 1963 में जन्म दिया। 1966 में जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में दिये
उन्होंने एक और शोध पत्र 'Thèse d'État' 1980 में पूरा किया, जो कि बाद में अंग्रेज़ी में 'The Time of a Thesis: Punctuations' के नाम से छपा। डेरिडा ने 1983 में केन मेकमुलन के साथ ''Ghost Dance'' नामक फिल्म में काम किया। उन्होंने इस फिल्म में स्वयं का पात्र निभाया तथा इसकी पटकथा लिखने में भी योगदान दिया।
डेरिडा यात्रा करते रहे तथा एक के बाद एक अस्थायी और सथायी पदो पर कार्यरत रहे। डेरिडा पेरिस-स्थित इकोल दे हॉते एत्चयूद अं सायंसिस सोसियाल में शिक्षा निदेशक के पद पर रहे। फ्राँसवा शतले तथा अन्य लोगों के साथ मिलकर डेरिडा ने 1983 में कोलैज़ इंतरनेशनाल द फिलोसोफी की स्थापना की, जहाँ दर्शन पर वह संदर्भ सके जो अकादमी में और कहीं नहीं हो सकता था। डेरिडा इस संस्थान के पहले अध्यक्ष चुने
सिलविअन ऐगाचिनसकि ने डेरिडा के तीसरे पुत्र डेनिअल को 1984 में जन्म दिया।
सन् 1986 में डेरिडा इरवीन के कैलिफोर्निया विश्वविद्धालय में कला के प्राध्यापक बनें। डेरिडा का परिवार उनके यहाँ के अभिलेखों को ले कर, जिनमें में कुछ अनौपचारिक रूप से विश्वविद्धालय को दे दिये
डेरिडा द अमेरिकन एकैडमी ऑफ़ आर्टस एवं साअंस के सदस्य थे और उन्हें फ्रेंकफर्ट विश्वविद्यालय से 2001 में अडोर्नो-प्रेस भी मिला। उन्हें केम्ब्रिज विश्वविद्यालय, कोलम्बिया विश्वविद्यालय, द न्यु स्कूल ऑफ सोशल रिसर्च, एसेक्स विश्वविद्यालय, लैवन विश्वविद्यालय और विलियम्स कॉलेज से मानद डाक्टरेट की उपाधि भी मिली।
सन् 2002 में वे ''डेरिडा'' नामक एक वृतचित्र में स्वयं की भूमिका में दिखे। सन् 2003 में वे अग्नाशय (pancreatic gland) के कैंसर से ग्रसित पाये
== कार्य ==
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डेरिडा ने अपनी बात को कहना और लिखना तब प्रारम्भ किया जब फ्रांसीसी बौद्धिक दृश्य व्यक्ति तथा सामूहिक जीवन को समझने की संरचनावादी (structuralist) तथा दृश्यप्रपंच वैज्ञानिक (phenemological) धाराओं में तीव्रता से बंट रहा था। वे दार्शनिक जो दृश्यप्रपंच विज्ञान के प्रति रूझान रखते थे उनका उद्देश्य अनुभव को समझने के लिये उसके उद्गम को समझना तथा उसका विवरण देना था, जिससे वे अनुभव के विकास की प्रक्रिया को किसी आरम्भिकता अथवा घटना से जोड़ सकें। परन्तु संरचनावादियों के लिये यह एकदम गलत कठिनता थी, और उनके लिए अनुभवों की गहराई केवल संरचनाओं का प्रभाव मात्र थी, जो कि स्वयं एक अनुभव नहीं हो सकता था। इस संदर्भ में सन 1959 में डेरिडा ने प्रश्न पूछा: क्या किसी संरचना का उद्गम नहीं होना चाहिए, तथा क्या आराम्भिकता, या उद्गम बिन्दु, किसी वस्तु का उद्गम होने के लिए पहले से ही संरचित नहीं होनी चाहिए?
दूसरे शब्दों में, हर तंत्र अथवा समकालिक प्रक्रिया का एक इतिहास होता है, तथा संरचनाओं को उनके उद्गम को समझे बिना नहीं समझा जा सकता। साथ ही, गति सुनिश्चित करने के लिए आरम्भिकता कोई विशुद्ध एकत्व अथवा सामान्यता नहीं हो सकती, बल्कि इसे पहले से ही ऐसे परिभाषित होना चाहिए कि इससे एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का उद्गम हो सके। इस आसतित्व-सूचक जटिलता को एक मूलभूत
डेरिडा के तर्क में इस आस्तित्व-सूचक जटिलता के सभी नमूनों, किस्मों तथा दूसरे अनेक विषयों में इसके प्रभावों को दर्शाना सम्मिलित था। इस उद्देश्य प्राप्ति में उन्होंने दार्शनिक एवं साहित्यिक
[[श्रेणी:यहूदी]]
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