"हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन": अवतरणों में अंतर

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[[File:Accused of Kakori Case 1925.jpg|thumb|right|200px|<big>काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी</big><br> <small>सबसे ऊपर [[राम प्रसाद 'बिस्मिल']] एवम् [[अशफाक उल्ला खाँ]] नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी</small>]]
 
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की ओर से प्रकाशित घोषणा पत्र और पार्टी के संविधान को लेकर [[बंगाल]] पहुँचे दल के दो नेतागणनेता- शचीन्द्रनाथ सान्याल तो बाँकुरा में पर्चे गिरफ्तारबाँटते करहुए गिरफ्तार लियेहो गये और योगेशचन्द्र चटर्जी [[हावड़ा]] स्टेशन पर ट्रेन से उतरते ही पकड़ लिये गये। उन दोनों को अलग-अलग जेलों में बन्द कर दिया गया।
 
इन दोनों नेताओं के गिरफ्तार हो जाने से 'बिस्मिल' के कन्धों पर पूरी पार्टी का उत्तरदायित्व आ गया। पार्टी के कार्य हेतु धन की आवश्यकता तो पहले से ही थी किन्तु अब और बढ गयी थी। कहीं से भी धन प्राप्त होता न देख ७ मार्च १९२५ को [[बिचपुरी]] तथा २४ मई १९२५ को द्वारकापुर में दो डकैतियाँ डालीं परन्तु उनमें कुछ विशेष धन हाथ न आया। उल्टे इन दोनों डकैतियों में एक-एक व्यक्ति भी मौके पर मारा गया। इससे बिस्मिल, जो उस समय दल के नेता थे,उनकोको अपार कष्ट हुआ। आखिरकार उन्होंने यह निश्चय किया कि अब केवल सरकारी खजाना ही लूटेंगे और मियाँ की जूती निकालकर मियाँ की ही चाँद पर ही ठोंकेंगे।
 
अन्ततोगत्वा [[शाहजहाँपुर]] में बिस्मिल के घर पर हुई एक आपात्कालीनआपातकालीन बैठक में अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनी। इस योजनानुसार ९ अगस्त १९२५ को [[लखनऊ]] जिले के [[काकोरी]] रेलवे स्टेशन के आगे '''आठ डाउन [[सहारनपुर]]-[[लखनऊ]] पैसेन्जर ट्रेन''' को चेन खींच कर रोक लिया और उसमें रखा हुआ सरकारी खजाना लूट कर सभी दस के दस क्रान्तिकारी एक कमके साथ एक मिलाकरकदम मिलाते हुए नौ दो ग्यारह हो गये। अंग्रेज सरकार ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों को पूरे हिन्दुस्तान में स्थान-स्थान पर छापा मारकर गिरफ्तार किया और उन सबको लखनऊ लाकर [[काकोरी काण्ड]] केको साजिश करार दिया और राम प्रसाद 'बिस्मिल' व अन्य सभी एच०आर०ए० नामसदस्यों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलायाचलाया। जिसमेंअठारह महीने तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमें में [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]], पण्डित [[राम प्रसाद बिस्मिल]], [[अशफाक उल्ला खाँ]] तथा ठाकुर [[रोशन सिंह]] को मृत्यु-दण्ड[[फाँसी]] केसजा दी गयी अतिरिक्तजबकि १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास तक का दण्ड दिया गया। सभी प्रमुख क्रान्तिकारियों पर एक साथ हुए इस वज्राघात ने ऐसोसिएशन को तहस-नहस कर दिया।
 
==सन्दर्भ==