"अवलोकन टनलिंग सूक्ष्मदर्शी यंत्र": अवतरणों में अंतर

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== प्रक्रिया ==
नोक को नमूने के समीप लाया जाता है, ताकि यह दूरी तकरीबन 4-7 [[Angstromआर्मस्ट्राँग|Ǻ]] हो, जो आकर्षक (3 से 10Ǻ तक) और विकर्षक (3Ǻ से कम) दूरियों के बीच सन्तुलन की स्थिति होती है।<ref name="Chen"/> टनल (या प्रमात्रा सुरंग) के बनने के बाद्, [[पैजो़विद्युत]] [[अंतरक|<span title="transduction">अंतरक</span>]] की सहायता से नोक को ३ दिशाओं में घुमाया जाता है। नोक के पास की सतह के अवस्था के घनत्व के बदलाव से टनल धारा में परिवर्तन आता है। इसके चालन के दो प्रकार हैं - या तो धारा को स्थिरांक रखा जाये, या नोक की दूरी को स्थिरांक रखा जाये।<ref name="Chen"/>
 
स्थिरांक धारा प्रणाली में पैजो़विद्युत की सहायता से दूरी का नियन्त्र किया जाता है ताकि धारा में बदलाव ना आये।<ref name="Oura">K. Oura, V. G. Lifshits, A. A. Saranin, A. V. Zotov, and M. Katayama ''सतह विज्ञानः भूमिका'' Springer-Verlag Berlin (2003)</ref><ref name="Bonnell">D. A. Bonnell and B. D. Huey “अवलोकन अन्वेषिका सूक्ष्मदर्शी यंत्र के मूल सिद्धांत” पुस्तकः ''अवलोकन अन्वेषिका सूक्ष्मदर्शी यंत्र और वर्णक्रम मापन: सिद्धांत, तकनीक और प्रयोग'' 2nd edition Ed. By D. A. Bonnell Wiley-VCH, Inc. New York (2001)</ref> स्थिरांक दूरी प्रणाली का फायदा यह है कि यह ज्यादा सम्वेदनशील होता है, क्योंकि इसमें स्थिरांक धारा प्रणाली की तुलना में पैजो़विद्युत दूरी नियंत्रण नही करना पडता।