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'''राजशेखर''' (विक्रमाब्द 930- 977 तक) काव्यशास्त्र के पण्डित थे। [[काव्यमीमांसा]] उनकी प्रसिद्ध रचना है। समूचे [[संस्कृत साहित्य]] में [[कुन्तक]] और राजशेखर ये दो ऐसे आचार्य हैं, जो परंपरागत संस्कृत पंडितों के मानस में उतने महत्त्वपूर्ण नहीं हैं, जितने [[रस]]वादी या [[अलंकार]]वादी अथवा ध्वनिवादी हैं। राजशेखर लीक से हट कर अपनी बात कहते हैं और कुन्तक विपरीत धारा में बहने का साहस रखने वाले आचार्य हैं।
 
== जीवनी ==
राजशेखर [[महाराष्ट्र]] देशवासी थे और यायावर वंश (क्षत्रिय) में उत्पन्न हुए थे किन्तु उनका जीवन [[बंगाल]] में बीता। वे राजा महेन्द्र पाल एवं उनके बेटे महिन्द्र पाल के गुरू एवं मंत्री थे। उनके पूर्वज भी प्रख्यात पण्डित एवं साहित्यमनीषी रहे थे। उनकी पत्नी का नाम [[अवन्तिसुन्दरी]] था जो एक विदुषी महिला थीं।
 
== रचनाएँ ==
* काव्यमीमांसा
* बाल रामायण
* बाल भारत
* कर्पूरमंजरी
* विद्याशालाभंजिका
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://vriindaa.blogspot.com/2009/05/blog-post.html काव्य मीमांसा के कुछ नए आयाम] (रंजना अरगड़े)
* [http://sa.wikibooks.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AE%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A4%BE काव्यमीमांसा] (देवनागरी में मूल पाठ)
* [http://books.google.co.in/books?id=w5PhHj2e5OcC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false राजशेखर] (रमाशंकर मिश्र का हिन्दी उपन्यास)
 
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[[en:Rajasekhara]]
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