"रहस्य": अवतरणों में अंतर

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* [[सर आथर कॉनन डायल]] ने अनेक रहस्य कथाओं की रचना की है।
* आपके द्वारा दी गई जानकारी को रहस्य रखा जायेगा।
 
==रहस्य दर रहस्य==
 
-Devesh Shastri Etawah-
 
रहस्य! रहस्य? हाँ, रहस्य . एक मुबी देखी। नाम था रहस्य। विदेशी दार्शनिकों, चिंतकों, लेखकों के अनुभव पर आधारित है रहस्य। नहीं लगा उसमें कुछ नया है। जो बताया व दिखाया गया, वह देशी शराब की बोतल पर लगा अंगरेजी रेपर मात्र है। वह हमारे चिंतन का ०.००००००१ वां हिस्सा है। दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे हमने झुकाया है प्रकृति को। विचार, अनुभूति, साहस व बौद्धिक क्षमता के आगे डिगा दिया नियति को।देवेश देवस्य ईशः, अर्थात वह।वह जो आपके भी अन्दर है।रहस्य?एक अभाव-ग्रस्त परिवार में २२-१० -१९६८ दीपावली की रात जन्मा शिशु जिसे बीमारी ने जकड रखा था।डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया, बीमारी के खर्चे की बजह से चाचाओं ने कर दिया था बाप को अलग।यानी शिशु को मारने के लिए गरीव बाप बेवस था। सबकुछ बीमारी में फुक चुका था, जमीन और जेबर।इंतजार था शिशु के लिए गज भर कफ़न का। किसने दिया जीवन? है न रहस्य।बाल्यावस्था में दूसरे बचों की उतरन पहनने वाला बालक पढ़ने में ठीक थाकिन्तु फीस के लिए पैसे न होने के कारण पढ़ाई हो गई बंद।आज वह आप सब की नजर में है विद्वान।विद्वान सर्वत्र पूज्यते, वह आज पूज रहा है। है न रहस्य।लोग नौकरी के लिए रकम लेकर घूम रहे हैं।गघा को बाप कह ही रहे बल्कि इश्वर होते हुए गधे को परमात्मा मान कर पूज रहे हैं।अपने संबंधों को भुनाने में माहिर होने का दंभ पाले हुए हैं।ऐसे में कभी किसी को कुछ नहीं माना,स्वयं को देव-इश ही माना। नौकरिया एक-दो नहीं , लगभग २५ छोड़ी। है न रहस्य।युवा होने पर शादी के कोई संकेत नहीं थे।दुर्बल काया देख लगता टी बी है। कोई पंडित, ज्योतिषी नहीं कहता शादी होगी शादी वर की होती है, जायदाद की होती है, सरकारी नौकरी की होती है, उसके पास कुछ न था। फिर १९९३ में रूपवती गुणवती लक्ष्मी (प्रतिभा ) प्राप्त हुई। दशा-दिशा बदल गई। है न रहस्य।खेल- खेल में आत्म तत्व से साक्षात्कार,जब पूस की सर्दी में अन्तः कोटि सूर्यों की उष्मा से नश्वर शरीर से फूटा था पसीने का सोत।साक्षी है इकदिल कॉलेज का स्टाफ। जो हतप्रभ था, सरीर में काफी देर के बाद आई थी चेतना।है न रहस्य। एक नौकरी छूटते ही नई मिल जाती वह भी ज्यादा वेतन के साथ। है न रहस्य ।इकदिल से साईकिल से आरहा था हाईवे २ पर १२० की रफ़्तार से आरही मार्शल की टक्कर लगते ही अचेत होकर गिर गया, पाता नहीं कैसे घर आया। पाता चला टूटी साइकिल ईंट भत्ता पर रख दी गई थी । है न रहस्य ।खिरिया महोत्सव के दौरान चारो और हो रही थी घनघोर वारिश, आयोजन भर नहीं गिरने दी एक भी बूंद खिरिया में। है न रहस्य। बिना पैसे के एक से बढकर एक अनगिनत सफल आयोजन। वर्ष २०१० में ५ दिसंबर को नुमायस का हुआ उदघाटन , ८ को प्रतियोगिता कराने का मिला आदेश। ३ दिन में दो दिन पड़ गई छुट्टी। स्कूलों से नहीं हुआ संपर्क फिर भी १२५ प्रतिभागी आये। कैसे? किसने भेजे? है न रहस्य। जो काम लाखों रुपये से नहीं हो सकती वह संकल्प मात्र से हो जाता है।आखिर कैसे? है न रहस्य।२२ सितम्बर २०११ की दुर्घटना में ब्रेन की चोट से अचेत १० दिन आई सी यु में रहा, सभी आशाएं टूट चुकी थी फिर भी में बच गया । यह घटना याद दिलाती है सावित्री प्रसंग , यहाँ भी प्रतिभा के सतीत्व ने यमराज से छुडाया देवेश को। है न रहस्य । सत्ता को जानो, सत्य निष्ठां ही बनाती है अंतर्मुखी । निष्काम भक्ति, अनासक्त कार्य शैली हैं लक्षण। सत्यम ब्रह्म जगन्मिथ्या की सत्यता ही रहस्य प्रतीत होती है।
 
 
 
==मूल==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/रहस्य" से प्राप्त